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जिस तरह का पांच आस्रवों और पांच संवरों का विशद वर्णन प्रस्तुत प्रश्न व्याकरण सूत्र में है वैसा वर्णन विस्तृत वर्णन किसी अन्य आगम में नहीं है। अतएव आगम रसिक बंधुओं को इसका अध्ययन अवश्य करना चाहिये। जिससे वह आस्रवों के कटु फल को जानकर इन्हें छोड़ने के लिए प्रेरित हो सके। - संघ की आगम बत्तीसी प्रकाशन में आदरणीय श्री जशवंतलाल भाई शाह, मुम्बई निवासी का मुख्य सहयोग रहा है। आप एवं आपकी धर्म सहायिका श्रीमती मंगलाबेन शाह की सम्यग्ज्ञान के प्रचार-प्रसार में गहन रुचि है। आपकी भावना है कि संघ द्वारा प्रकाशित सभी आगम अर्द्ध मूल्य में पाठकों को उपलब्ध हो तदनुसार आप इस योजना के अन्तर्गत सहयोग प्रदान करते रहे हैं। अतः संघ आपका आभारी है। . .. - आदरणीय शाह साहब तत्त्वज्ञ एवं आगमों के अच्छे ज्ञाता हैं। आप का अधिकांश समय धर्म साधना आराधना में बीतता है। प्रसन्नता एवं गर्व तो इस बात का है कि आप स्वयं तो आगमों का पठन-पाठन करते ही हैं, पर आपके सम्पर्क में आने वाले चतुर्विध संघ के सदस्यों को भी आगम की वाचनादि देकर जिनशासन की खूब प्रभावना करते हैं। आज के इस हीयमान युग में आप जैसे तत्त्वज्ञ श्रावक रत्न का मिलना जिनशासन के लिए गौरव की बात है। आपके पुत्र रत्न मयंकभाई शाह एवं श्रेयांसभाई शाह भी आपके पद चिन्हों पर चलने वाले हैं। आप सभी को आगमों एवं थोकड़ों का गहन अभ्यास है। आपके धार्मिक जीवन को देख कर प्रमोद होता है। आप चिरायु हों एवं शासन की प्रभावना करते रहें, इसी शुभ भावना के साथ!
- प्रश्नव्याकरण सूत्र की पूर्व में पाँच आवृत्तियाँ संघ द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं। अब इसकी यह छठी आवृत्ति प्रकाशित की जा रही है। आए दिन कागज एवं मुद्रण सामग्री के मूल्यों में निरंतर वृद्धि हो रही है। इस आवृत्ति में जो कागज काम में लिया गया वह उत्तम किस्म का मेपलिथो है। बाईडिंग पक्र्की तथा सेक्शन है। बावजूद इसके आदरणीय शाह परिवार के आर्थिक सहयोग के कारण इसका मूल्य मात्र 3५) ही रखा गया है, जो अन्यत्र से प्रकाशित आगमों से बहुत अल्प है। सुज्ञ पाठक बंधु संघ के इस नूतन आवृत्ति का अधिक से अधिक लाभ उठावें।
इसी शुभ भावना के साथ! ब्यावर (राज.)
संघ सेवक दिनांकः २०-५-२००८
नेमीचन्द बांठिया अ. भा. सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ, जोधपुर
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