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मागधी व्याकरणम् प्रतिपत् ११ प्रत्यादौ डः सूत्रथी त नो ड अयो, पळी समृद्ध्यादौ वा सूत्रथी मनो आ थयो, एटले प्राडिपत् थयुं, सर्वत्ररलुक, पो वः श्रने श्रा सूत्रथी आकार थयो, पनी अंत्यव्यंजन सू तो लुक् थयो, एटले पाडिवआ रूप सिद्ध थयु. संस्कृत संपत् ११ नुं संपआ थाय बे. संपत् शब्दने श्रा सूत्रथी आ थाय, अंत्यव्यंजनस्य लुक सूत्रथी संपआ रूप सिद्ध पाय . बहुत अधिकारथी क्षत् स्पृष्टतर प्रयत्नमां यनुं पण श्रवण थाय, त्यारे सरित् प्रतिपत् ए शब्दोने श्रा सूत्रथी आने बदले या आय. अवर्णो सूत्र खागी य खगाडी बाकीना नियमो पूर्ववत् थाय त्यारे सरिया, पाडिवया, संपया इत्यादि रूप सिद्ध थाय. संस्कृत विद्युत्नूं प्राकृत विजु थाय . विद्युत् ११ पप्पांजः सूत्रथी य् नो ज थाय, पनी अनादौ हित्वं सूत्रथी विडतू थाय, पनी अंत्यव्यं० सूत्रथी तू नो लुक् थाय. अक्लीवे. नियमथी दीर्घ थाय, पनी अंत्यव्यं० सूत्रथी वित्नक्तिना सू नो लुक् थाय, एटले विजु रूप सिख थाय. १५
रोरा॥१६॥ स्त्रियां वर्तमानस्यांत्यस्य रेफस्य रा इत्यादेशो जवति ॥ श्रात्वापवादः ॥ गिरा । धुरा । पुरा ॥ मूल भाषातर. र ६१ रा ११- स्त्रीलिंगमा वर्तमान एवा अंत्य व्यंजनना रेफ ने रा एवो आदेश थाय. आकारनो अपवाद . जेमके गिर शब्दनो गिरा, धुर शम्दनो धुरा अने पुर् शब्दनो पुरा थाय.
॥ढुंढिका॥ र ६१ रा ११ गिर पुर् धुरः अनेन र श्रा अंत्यव्यंन्सुलुकू गिरा पुरा धुरा ॥१६॥ टीका भाषांतर. र ६१ रा ११ गिर पुर अने धुर् ए शब्दोने आ सूत्रथी आकार थाय, पनी अंत्यव्यंजन स नो बुक् थाय, एटले गिरा पुरा, धुरा एवा रूप सिद्ध धाय ॥ १६॥
दुधो हा ॥१७॥ शुध् शब्दस्यांत्यव्यंजनस्य हादेशो जवति ॥ बुहा ॥ मूल भाषांतर. कुध् शब्दना अंत्य व्यंजनने हा एवो आदेश थाय. संस्कृत क्षुध् शन्दनुं प्राकृत छुहा एवं रूप थाय .
॥ढुंढिका ॥ दुध् ६१ हा ११ तुध् ११ अनेन धू हा ११ बा दयादौ कः तु अंत्यव्यंग सलुक् बुहा ॥ १७ ॥
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