Book Title: Pradyumnakumara Cupai
Author(s): Kamalshekhar, Mahendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 16
________________ भूमिका वीर-परंपर- पाटि सोभताजी कल्यांणसागरसूरिराय मधुरी देशनवांण वरसताजी सेवि सुरनर पाय । ६ । देख तास पक्ष वाचक अति दीपताजी कमलशेखर गणिचंद तास शिष्य वाचक सत्यशेखर भलाजी । ७ । देखु० अकवरपुरमा संघनि आदरिजी अति घणुं मन नि पुरि भावशेखर कहिं श्री संघ चरिजउजी आणंद प्रेम पडू रि । १३। देखु० आ उपरांत आपणे आगळ जोई गया ते संवत १६९४मां रचायेली " चंदराजानी चौपई" मां तेना कर्ता विजयशेखरे पण वा. कमलशेखरने "कमलशेखर वाचक पदइ, साधुमइ थया अवतंस री माइ" एम " साधुओमां शणगाररूप" कही तेमना प्रत्येनो पूज्यभाव व्यक्त कर्यो छे. गुरु अने शिष्य-प्रशिष्योनी परंपरा वा. कमलशेखरे 'प्रद्युम्न कुमार चुपई' नामनी पोतानी कृतिनी प्रशस्तिमां पोताना गुरु तथा तेमना गुरुना नामनो उल्लेख कर्यो छे तेमां तेमणे वा. वेलराजथी शरूआत करी छे. तेमणे वा. वेलराजना शिष्य उपाध्याय पुण्यलब्धि तथा वा लाभशेखरना नामनो उल्लेख करी, पोताने लाभशेखरना शिष्य तरीके निर्देश्या छे. आ रीते वा कमलशेखरनी टूकी गुरुपरंपरा आ प्रमाणे दर्शावी शकाय : वा. वेलराज 1 उपा • पुण्यलब्धि वा. लाभशेखर भानुलब्धि वा. कमलशेखर Baramendica वा. कमलशेखरना शिष्यो पण सारा ग्रन्थकारो थई गया छे. तेमणे उग्रविहार करीने उत्तर भारतनां नगरोमां पण चतुर्मास कर्या हता अने अनेक भव्य जीवोने बोध पमाड्यो हतो. इत्यादि वेशेनु सप्रमाण वर्णन अहीं अप्रस्तुत छे. मात्र भिन्न भिन्न कृतिओमांथी प्राप्त थता उल्लेखो रथी अत्यार सुधी मळेली माहिती प्रमाणे वा. कमलशेखरनी शिष्य-प्रशिष्योनी परंपरा नीचे मुजब दर्शावी छे : वा. कमलशेखर वा. सत्यशेखर ० विनयशेखर रविशेखर भुवनशेखर Jain Education International भावशेखर बुद्धिशेखर विवेकशेखर राजशेखर रत्नशेखर १. भारतीय विद्याभवन ( मुंबई ) ना हस्तप्रतना संग्रहमां आ भावशेखर कृत, संवत १६८१मां रचायेली "धना महामुनी चुपई "नी, संवत १७०१मां लखेली एक हस्तप्रत छे यां तेनो नंबर ७९ छे, एमांथी प्रस्तुत प्रशस्ति प्राप्त थई छे. For Private & Personal Use Only विजयशेखर www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 ... 196