Book Title: Pradyumnakumara Cupai
Author(s): Kamalshekhar, Mahendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 14
________________ भूमिका ३“धर्ममूर्ति गुरु फाग' आ कृतिर्मा तेनो रचनानो समय नोंध्यो नथी, पण 'कर्तानी उपर्युक्त बे गुजराती कृतिओनु रचनानु वर्ष जोतां आ काव्य पण विक्रमना १७ मा शतकना पूर्वार्धमा रचायु हशे एमां शंका नथी."२ रचना स्थळ खंभात छे. आ कृतिना अंतमा आ प्रमाणे उल्लेख छः "षिमासागर गुर वंदु, नंदउ जां ससिभांण थभणपुरि गुर गाइइ पाईइ शिवपुर ठाण २२ श्री कमलशेखर कहइ वंदीई वंदोई गुरुना पाय जे नरनारी गावइ, पावइ सुखसयांई" २३ ४ “सामायिके बत्रीश दोषनो भास : आ कृतिमां तेनुं रचनास्थल के रचनासमय कशानो उल्लेख नथी. मात्र कर्ताना पोताना नामनो ज उल्लेख त्यां आम करेलो छ : "कमलशेखर वाचक कहइ जी समता करउ रे सुजाण, दोष बत्रीसइ परिहरइ जो ते पामइ सिवठाण रे" । २० । जी. -इति श्री सामायिके बत्रीस दोष भास संपूर्ण । १७ मा शतकना पूर्वार्धमा रचायेली उपर्युक्त कृतिओनां रचनास्थल अनुक्रमे सुरत, मांडल, खंभात छे. आथी आ समय दरमियान वा. कमलशेखरनो विशेष विहार गुजरात बाजु ज हशे. कदाच तेओ गुजरातमां ज जन्म्या होय. संवत १६०० ना भादरवा सुदी १३ ने रविवारे पादशाह शाहआलमना राज्यकाळ दरमियान अलवर महादुर्गमां, गुणनिधानसूरिनी विद्यमानतामां कमलशेखरे सुश्राविका जोषीना पठनार्थे 'लघुसंग्रहणी सूत्र'नी प्रत लीखी छे, जेनी पुष्पिकामां आ प्रमाणेनो उल्लेख छ : 'संवत १६०० वर्षे भाद्रपद मासे शुक्लपक्षे १३ रवौ पातिसाह श्री साहआलम राज्ये अलवर महादुर्गे श्री ५ गुणनिधानसूरि विद्यमाने वा. लाभशेखर गणि तत शिष्य कमलशेखरेण लिखित शुश्राविका जोषी पठनार्थ । शुभं भवतु ।।" उपलब्ध माहिती प्रमाणे कमलशेखरनो पहेलवहलो उल्लेख उपर्युक्त प्रत-पुष्पिकामांथी मळे छे. संवत १६०० मां थयेला कमलशेखरना आ नामोल्लेख साथे एम अनुमान करी शकाय के लगभग १५८० नो आसपासमां तेओ जन्म्या होय, अने त्यारबाद लगभग अढारेक वर्षनी युवानवये दीक्षा ग्रहण करी होय. उपर्युक्त सं० १६०० मां "लघु-संग्रहणीसूत्र" नी तेमणे करेलो प्रतिलिपिमा तेमणे पोताना नाम साथे "वाचक" पदनो उल्लेख नथी कों. ज्यारे सं० १५०९ मां रचेली तेमनी कृति 'नवतत्त्वचोपाई" मां "वाचक १. आ फागुन संपादन डॉ० भोगीलाल सांडेसरा तथा सोमाभाई पारेखे. तेमना 'प्राचीन फागु संग्रह' मां करेलु छे. जुओ "प्राचीन फागु संग्रह", पृ. १२६-१२८. २. "प्राचीन फागु संग्रह", पृ २४. ३. आ कृतिनी हस्तप्रत मने भारतीय विद्या भवन, चोपाटी रोड, मुंबई-७. ना हस्तप्रत-संग्रहमांथो उपलब्ध थई हतो. त्यां तेनो क्रमांक २५२ छे. मूल माटे जुओ परिशिष्ट, ४. जुओ "श्री प्रशस्ति संग्रह", सं. अमृतलाल मगनलाल शाह, पृ. ९९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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