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(१८४) ઉદાયી (ઉદાયન નહીં) પછી ગાદીએ કોણ આવ્યું તે વિષયમાં પણ ઈતિહાસમાં મતભેદ છે. કેટલાક ગ્રન્થકારે अनुरुद्ध ने मुण्ड गाडीमे मा०यानु मान छ. मा અન્ધકારે ઉદાયી પછી નંદરાજા થયા હતા એમ માને છે. તેના સંબંધી એ ઉલ્લેખ મળે છે કે
(१) महावंस तथा बरमी अनुश्रुति में उदयी के बाद अनुरुद्ध और मुण्ड राजाओं के नाम हैं ।
दिव्यावदान में भी मुण्ड का नाम है । तिब्बती अनुश्रुति ( लामा तारानाथ की पुस्तक जो १६०८ ई० में पुरानी सामग्री के आधार पर तिब्बती भाषा में लिखी गई) में अजातशत्रु के बाद के सभी राजाओं के नाम भिन्न हैं, किन्तु उनकी संख्या सूचित करती है कि उसमें दर्शक, अनुरुद्ध और मुण्ड तीनों गिने गये हैं । मुण्ड की सत्ता-अंगुत्तरनिकाय, ५-५० से, जहां उसे पाटलिपुत्र में राज्य करता लिखा है, सिद्ध है। पुराणों में कुल दस शैशुनाकों का होना लिखा है, किन्तु एक प्राचीन प्रति में दश वै के बजाय दश दौ पाठ है । पुराणों की यह रीति है कि गौण नामों को छोड़ देते हैं, विशेष कर जहां वे एक ही पीढ़ी के हि सूचक हो-अर्थात् कई भाइयों ने एक के बाद दूसरे राज्य किया हो, और उनका राज्यकाल मुख्य नामो में मिला देते हैं ।
पूराणों में उदयी का राज्य-काल ३३ वर्ष है, जब कि बौद्ध अनुश्रुति में केवल १६ । फलतः उदयी के राज्यकाल में
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