Book Title: Payaya Kusumavali
Author(s): Madhav S Randive
Publisher: Prakrit Bhasha Prachar Samiti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
२० *
पाययकुसुमावली
अन्नया_सयललोगउम्माह्यजणणे कुसुमरयरेणुगभिणे वियंभियदाहिणाणिले ससुच्छलियकलयले मणहचच्चरिसद्दाणंदियतरुणयणे पयट्टे महुसमए सहियायणपरिवुडा गया बाहिरुज्जाणं बहू । दिद्वाणि सिणेहसारं चक्कवायमिहुणयाणि दीहियाए रमताणि, अन्नत्थ य सारसमिहुणाणि । पुलइओ हंसओ हंसियमणितो । तओ कामकोवणयाए वसंतस्स, रम्मयाए काणणस्स, रागुक्कडयाए परियणस्स, अगभववभत्थयाए गामधम्माणं विगारबहुलयाए जोव्वणस्स चंचलयाए इंदियाणं, महावाही दिन पडियमहादुक्खो विभिओ सव्वंगिओ विसमसरो । चितियं च णाए - वोलिणो तेण निच्चएण दिन्नो अवही, न संपत्तो, ता पवेसेमि जुवाणयं किंचि ।' भणिया एएण वइयरेण रहस्समंजूसियाभिहाणा चेडी । तीए भणियं
,
www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
*
}
★ एत्तियकाल परिरक्खिऊणमा सीलखंडण कुणसु । को गोपयम्मि बुडुइ जर्लाहि तरिऊण बालो वि
वहुए भणियं - 'हले, संपयं न सक्कुणोमि अणंगबाणघायं, ता किमेत्थ बहुणा । पवेसेसु किंपि ।'
तीए भणियं - 'जइ एवं ता मा झुरसु सनीहियं । '
तओ साहिओ एस वृत्तंती सासूए वि तीए सह कवडकलहं काऊण भणिया सासू घरपालणस्स जोग्गा, ता परिवज्जसु सव्वं तुमं ।'
करेमि भे
तीए वि भतुणो । तेण
बहू - ' वच्छे न एसा तव
' एवं ' ति पडिवन्ने निरूविया सव्वेसु गेहकायव्वेसु । तओ
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169