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कमलाई कद्दमे संभवंति
( ई. स. ५ या ६ शतक में 'वसुदेवहिंडी' स प्राचीन प्राकृत कथासाहीत्य की रचना हुई । इसमें दो भाग हैं। पहला भाग श्री संघवासगणि ने और दूसरा भाग श्रीधर्मसेनगणि ने लिखा है। इनमें विविध दृष्टांत कथाएँ तथा धर्म-कथाएँ हैं। यहाँ जंबूनामक श्रीमान् वणिकपुत्र अपने नव-विवाहित बत्तीस स्त्रियों के साथ विरागी बनने के लिए वाद कर रहा था। उसी समय उसका धन लूटने के लिए आए हुए कुप्रसिद्ध डाकू प्रभव ने उससे कहा, इन बहिनों के साथ सुखोपभोग भोगते गृहस्थाश्रम का पालन करो। तब संसार में वासनावश मनुष्य अज्ञान से कैसा अघोर--पाप कर सकता है इसका जंबूकुमार इस कथा द्वारा स्पष्टोकरण कर रहा है ।
इ. स. ५ व्या किंवा ६ व्या शतकात 'वसुदेवहिंडी' या प्राचीन प्राकृत कथासाहित्याची रचना झाली . याचे दोन भाग असून पहिला भाग श्रीसंघदासगणींनी व दुसरा श्रीधर्मसेनगणींनी लिहिला. यात अनेक दृष्टांतकथा व धर्मकथा आहेत . येथे जंबू नावाचा श्रीमान् वणिक्पुत्र आपल्या नवविवाहित बत्तीस स्त्रियांशी विरागी बनण्याबद्दल वाद घालीत आहे, त्याच वेळी त्याची संपत्ती लुटण्याकरिता आलेल्या कुप्रसिद्ध प्रभव चोराने ही 'त्यास संसारात
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