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पर्युषण-प्रवचन
है कि इनकी मनभावनी भीनी गंध से हमारी दुर्भावनाओं की दुर्गन्ध दूर हट जाए और जीवन में सुगन्धि फैले ।
सुदर्शन का यह अभय दर्शन या प्रेम दर्शन वह कमाल दिखाता है, जो बड़े-बड़े तांत्रिक, यांत्रिक और वीर भी नहीं दिखा सके । मौत के सामने अटल धैर्यपूर्वक खड़े रहकर उसने मुद्गर पाणि को जीता और अपने ही हत्यारे की सेवा शुश्रूषा करके समझा बुझा के महावीर के चरणों में लाकर खड़ा किया । अर्जुन माली जैसे क्रूर कर्मी को, इतना दयालु और इतना सहनशील बनने की प्रेरणा देने वाला वह सुदर्शन महावीर का सच्चा प्रतिनिधित्व करता है, उसकी आत्मा में महावीर की आत्मा बोलती है, उसके आचरणों में महावीर का धर्म संदेश घूमता हो, ऐसा लगता है । हम उसके जीवन दर्शन से प्रेरणा लें और आत्मा की भूमिका को इतनी ऊँची बनायें । इसीलिए यह आख्यान पढ़ा जाता है और इसीलिए भगवान महावीर ने अन्तकृत दशांग सूत्र में अपने शिष्यों को आह्वान करके इस आदर्श की प्रेरणा दी है ।
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