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पर्युषण-प्रवचन
तो लगाये जा रहे हैं, पर संसार में केवल शान्ति - शान्ति चिल्लाने से कुछ भी प्रयोजन सिद्ध नहीं होगा । यदि आपके हृदय में से वासना, विकार और दुर्गुण दूर हो जायें और सद्गुण पनपते रहें तभी जीवन का कल्याण और उत्थान होगा । आप जिन महापुरुषों की जीवन-गाथाएँ सुनते हैं, आगम के पृष्ठों पर जिनकी जीवन - झाँकियाँ देखते हैं, यदि उनके जैसी ही पवित्रता आप भी अपने जीवन में अपना सकें, तो आपका जीवन एक महत्त्वपूर्ण आदर्श के रूप में चमक उठेगा ।
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