Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ ( १० ) थेरगाथा, मिलिन्दप हो तथा पातिमोक्ख आदि का प्रकाशन नागरी लिपि में हो वुका है । पंडित विधुशेखर भट्टाचार्य के भिक्खु और भिक्खुनी पातिमोक्ख के तथा डा० विमलाचरण लाहा के 'चरियापिटक' के नागरी संस्करण भी स्मरणीय हैं। इसी प्रकार मनि जिनविजय का 'अभिधानप्पदीपिका' का संस्करण, प्रोफेसर वापट के 'धम्मसंगणि' और 'अट्ठसालिनी' के संस्करण, आचार्य धर्मानन्द कोसम्बी के 'विसुद्धिमग्ग' एवं स्वकीय नवनीत-टीका सहित 'अभिधम्मत्थ संगह' के संस्करण तथा भिक्षु जगदीश काश्यप का मोग्गल्लान-व्याकरण पर आधारित 'पालि महाव्याकरण' ये सब हिन्दी में पालि-स्वाध्याय के महत्त्वपूर्ण प्रगति-चिन्ह हैं। इनके अलावा कुछ अन्य ग्रन्थों के भी नागरी संस्करण निकले हैं और धम्मपद, सुत्तनिपात, तेलकटाहगाथा, खुद्दक-पाठ आदि कुछ ग्रन्थों के मूल पालि-सहित हिन्दी अनुवाद भी प्रकाशित हुए हैं। फिर भी जो कुछ काम अभी तक हो चुका है वह उसके सामने कुछ नहीं है जो अभी होना बाकी है । भारतीय विद्वानों के सामने एक भारी काम करने को पड़ा हुआ है । यह काम सफलतापूर्वक हो, इसके लिए अथक परिश्रम और आर्थिक व्यवस्था दोनों की ही बड़ी आवश्यकता है । महाबोधि सभा की कई योजनाएँ आर्थिक अभाव के कारण अपूर्ण पड़ी हुई हैं। भिक्षु जगदीश काश्यप-कृत संयुत्त-निकाय का हिन्दी-अनुवाद वर्षों से पड़ा हुआ है और उसके प्रकाशन की व्यवस्था अभी-अभी हुई है। इसी प्रकार उनके द्वारा संकलित बृहत् पालि-हिन्दी शब्द कोश के प्रकाशन का सवाल है। अनेक पालि ग्रन्थों के मूल पाठ, जिन्हें विद्वान् भिक्षुओं ने नागरी अक्षरों में लिख लिया है, विद्यमान हैं, किन्तु उनके छपने की कोई व्यवस् । नहीं। यही अवस्था अनेक अनुवादों की है। यह अत्यन्त आवश्यक है कि महाबोधि सभा या कोई पुरानी या नई साहित्य-संस्था सम्पूर्ण पालि साहित्य के मूल पाठ और हिन्दी-अनुवाद को प्रकाशित करने का महत्त्वपूर्ण कार्य अपने हाथ में ले और विद्वानों के सहयोग से उसे निकट भविष्य में पूरा करे। सरकार और जनता का भी कर्तव्य है कि वह इममें महत्त्वपूर्ण आर्थिक सहयोग दे। ब्रिटिश साम्राज्यवाद के दिनों में हम प्रत्येक स्वाधीनता-दिवम पर अंग्रेजों पर यह आरोप लगाया करते थे कि अन्य अनेक ह्रासों के साथ उन्होंने हमारा सांस्कृतिक ह्रास भी किया है। आज स्वतंत्रता प्राप्ति के चौथे वर्ष में भारतीयों को यह याद दिलाने की आवश्यकता

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 760