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पत्रो द्वारा सूचना तथा फार्म भेजे गए और विवरण प्राप्त करने का पूर्ण प्रयास किया गया । मध्य प्रदेश के अनेक वन्धुओ से मै स्वयं भी इस निमित्त मिला और उनके इस सम्बन्ध में सुझाव जानने की चेष्टा की, किन्तु इतना सब कुछ करने पर भी हम लगभग तीन हजार परिवारो के फार्म ही जुटा पाये । इन फार्मों में समस्त समाज नही आ जाता है। हाँ, यह उसका एक बड़ा भाग अवश्य कहा जा सकता है। हमें जो फार्म प्राप्त हुए हैं उनमें भी बड़ी मात्रा मे अपूर्ण तथा अस्पष्ट हैं। कुछ फार्म तो ऐसे मिले हैं, जिनका कुछ भी अता-पता नही है ।
हम चाहते थे कि डायरेक्टरी में अधिक से अधिक मर्याचित्र जीवनचरित्र छापे जायें, किन्तु हमारी यह इच्छा अधूरी ही रही । अनेक ऐसे दिव्यतत्व सम्पन्न महापुरुषो को हम छोड़ गये हैं जिनके जीवनचरित्र एवं परम दुर्लभ जाति - हितैपी क्रिया-कलापो से आनेवाली पीढियो में नव स्फूर्ति, आगा और उत्साह का संचार होता । जब बार-बार अपील करने पर भी हमें उनके सम्बन्ध मे कुछ सकेत न मिल पाये, तो हम इस विवशता के लिए उन समाज- नायको को मौन श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हुए जितने जीवन चरित्र प्राप्त हुए उन पर ही सन्तोष कर आगे बढे । इसी प्रसंग में एक और भी दुविधा हमारे सामने आई, वह यह कि कुछ महानुभावो के केवल मात्र चित्र ही प्राप्त हुए और कुछ के केवल जीवनचरित्र, कुछ महानुभाष ने चित्र की पीठ पर ही जीवनचरित्र लिख भेना । मत. ऐसी परिस्थितियो में यही निर्णय किया कि जितनी भी सामग्री अपने पास है उसमे किसी प्रकार की कटौती न करते हुए, पूरी की पूरी प्रकाशित कर दी जाए ।
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आरम्भ में डायरेक्टरी को एक ही जिल्द में प्रकाशित करने का विचार था । किन्तु, इसका फैलाव और आकार-प्रकार इतना बढ गया कि इसको दो खण्डो मे विभक्त करना हो सुविधा पूर्ण जान पड़ा। संकलन को दृष्टि से इसे वर्णमालानुक्रमणिका (अकार) विधि से तैयार किया गया है। सर्वप्रथम " म" क्रम से प्रान्त फिर जिले तथा गाव और गांव में नाम इसी रूप में संकलित किये गए हैं।
डायरेक्टरी को चाहे उतने सुन्दर रूप मे न सही फिर भी जिस रूप में हम बना पाये हैं, आपके हाथो तक पहुँचा रहे हैं। इस कार्य को हम जितना शीघ्र पूरा कर लेना चाहते थे, उसमे भी कुछ विलम्ब हो गया है और इसका जो सुरुचिपूर्ण शृङ्गार करना चाहते थे, उसमें भी पूर्ण सफल नहीं हो पाये। अत इस कार्य का शुभारम्भ तथा सम्पूर्ति आपके ही आशीर्वाद एवं शुभ कामनाओ का सफल परिणाम है। आज आपकी वस्तु आपको ही समर्पण करते हुए मुझे हर्प हो रहा है । अत इस प्रयास से समाज का लेशमात्र भी हित हुआ, तो मैं अपने आपको धन्य समझूगा ।
सर्वप्रथम हम अपने उन उदार वन्धुओ से क्षमा-याचना करते हैं, जिनके फार्म हमें प्राप्त न हो सके अथवा हमारे कार्यालय में किसी प्रकार भूल से गुम हो गये या अशुद्ध छप गए है। इन भाइयो से हमारा साग्रह नम्र निवेदन है कि वह हमारी त्रुटियों की ओर अवश्य संकेत करें, जिससे हम "पद्मावती पुरवाल" पत्रिका में उनकी शुद्ध आवृत्ति कर सकें ।
सर्व श्री लालबहादुर जी शास्त्री इन्दौर निवासी का तो मैं चिर ऋणि हूँ, जिन्हों ने डायरेक्टरी के सम्बन्ध में समय-समय पर अपने बहुमूल्य सुझाओ द्वारा तथा "भूमिका' 'लिख कर इस ग्रन्थ को महत्त्व प्रदान किया है । श्री पाण्डेय कंचनलाल जी जैन ने एक सुयोग्य परामर्शदाता की भांति इस कार्य को सर्वतोभावेन सम्पन्न कराया है। श्री कान्तिचन्द्र जी जैन इन्दौर ने भी इस कार्य में जो रुचि एव उत्साह दिखाया है, वह भी चिरस्मरणीय तथा प्रशंसनीय है । मान्य श्री श्रीधर जी शास्त्री इन्दौर तथा श्री रामस्वरूप जो "भारतीय " जारकी धोर श्री पन्नालाल जी जैन "सरल" फिरोजाबाद आदि सज्जनो ने स्वसमाज के इस कार्य में जो