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४ पुष्पवृलिका सत्र
टीका'जइणं भंते' इत्यादि व्याख्या सुगमा ॥१॥
चतुर्थ वर्ग (४)
पुष्पचूलिका. 'जइणं भंते' इत्यादिजम्बू स्वामी पूछते हैं
हे भदन्त ! श्रमण भगवान महावीरने पुष्पिता वर्गमें दस अध्ययनोंका निरूपण किया है। उसके बाद उन्होंने क्या कहा है ?
सुधर्मा स्वामी कहते हैं
हे जम्बू ! उसके बाद भगवानने पुष्पचूलिका वर्गका निरूपण किया है। उसमें उन्होंने दस अध्ययन बतलाये हैं। जोकि इस प्रकार हैं-(१) श्री, (२) ही, (३) धी, (४) कीर्ति, (५) बुद्धि, (६) लक्ष्मी, (७) इलादेवी, (८) सुरादेवी, (९) रसदेवी, (१०) गन्धदेवी ॥
यतुर्थ वर्ग (४)
પુ૫ચૂલિકા. 'जाणं भंते' त्याहि. જમ્મુ સ્વામી પૂછે છે –
હે ભદન્ત! શ્રમણ ભગવાન મહાવીરે પુષ્પિતા વર્ગમાં દશ અધ્યયનનું નિરૂપણ કર્યું છે. ત્યાર પછી તેમણે શું કહ્યું છે?
હે જબ્બ ! ત્યાર પછી ભગવાને પુષ્પચૂલિકા વર્ગનું નિરૂપણ કર્યું છે. તેમાં तमा A अध्ययन मताव्यांना नाममा प्रा२ना छ:-(१) श्री, (२)ी, (३) घी, (४) त, (५) मुति, (६) भी, (७) हेवी, (८) सुराही, (6) रसी , (१०) अन्धवी.
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