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- ५ वृष्णिदशा
निरयावलियाउवंगे णं एगो सुयक्खंधो, पंच वग्गा, पंचसु दिवसेसु उहिस्संति, तत्थ चउसु बग्गेसु दस दस उदेसगा, पंचमकग्गे वारस उद्देसगा। ॥निरयावलियासु सम ॥ .
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छायानिरयावलिकोपाङ्गे खलु एकः श्रुतस्कन्धः, पञ्च वर्गाः, पञ्चसु दिवसेसु उद्दिश्यन्ते, तत्र चतुषु वर्गेषु दश दश उदेशकाः, पदमवर्ग द्वादशोद्देशकाः ॥
॥ इति निरयावलिकामूत्रं समाप्तम् ॥ .. निरयावलिका उपाङ्गमें एक श्रुतस्कन्ध है, पाँच वर्ग हैं, पाँच दिनोंमें इसका उपदेश दिया गया है। इसके चार वर्गोंमें दस-दस उद्देश हैं, पांचवें वर्गमें बारह उद्देश हैं।
इति निरयावलिका सूत्र समाप्त. નિરયાવલિકા ઉપાંગમાં એક યુવકન્ય છે. પાંચ વર્ગ છે. પાંચ દિવસમાં આને ઉપદેશ અપાયો છે. આના ચાર વર્ગમાં દશ-દશ ઉદ્દેશ છે. પાંચમા વર્ગમાં सा२ उद्देश। छ. .
ઇતિ નિરયાવલિકા સૂત્ર સમાપ્ત,
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