Book Title: Kasaypahudam Part 10
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Mantri Sahitya Vibhag Mathura
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विषय
प्रकृति स्थितिउदीरणा २४ अनुयोगद्वार होते है इसका निर्देश
स्थितिउदीरणा के २ भेदों का निर्देश
प्रमाणानुगम दो प्रकारका है इसका निदा सर्व नोसर्व स्थितिउदीरणा
उत्कृष्ट अनुत्कृष्ट स्थितिउदीरणा जन्म अजघन्य स्थितिउदीरणा सादियादि स्थितिउदीरणा
स्वामित्वानुगमके दो भेद
उत्कृष्ट स्वामित्वानुगम
जघन्य स्वामित्वानुगम कालानुगमके दो भेद
उत्कृष्ट कालानुगम
जय कालानुगम अन्तरानुगमके दो भेद
उत्कृष्ट अन्तरानुराग
जघन्य अन्तरानुगम
नाना जीवों की अपेक्षा गंगचित्रयानुगमके
दो भेद
उत्कृष्ट भंगविचयानुगम जघन्य भंगविचयानुगम भागाभागानुगम के दो भेद
उत्कृष्ट भागाभागानुगम
जवन्य भागाभागानुगम परिमाणानुगमके दो भेद
उत्कृष्ट परिमाणानुगम
जघन्य परिमाणानुगम
क्षेत्रानुगमके दो भेद उत्कृष्ट क्षेत्रानुगम
जघन्य क्षेत्रानुगम स्पर्थनानुगमके दो भेद
उत्कृष्ट स्पर्धेनानुगम
जघन्य स्पर्शनानुगम कालानुगमने दो भेद
उत्कृष्ट कालानुगम जघन्य कालानुगम अन्तरानुगमके दो भेद उत्कृट अनुगम
( १५ )
पृष्ठ
विषय
जघन्य अन्तरानुगम
२०६
१८६
दोनों प्रकारके भावका निर्देश
२१०
१६०
२१०
अब दो भेद १६० मार्ग अवार्य श्री सुविधिसागर जी महाराज
१६१
जघन्य अल्पबहुत्त्र
२१०
१६२
भुजगारस्थितिउदीरणा
२.१
१६२
२११
१६२
२११
२११
२१२
१६२
१६२
१९३
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१६४
१६६
१६८
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१६६
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२००
२०१
२०१
२०१
२०१
२०२
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उसके १३ अनुयोगद्वारोंकी सूचना
समुत्कीर्तनानुगम
"स्वामित्वानुगम
कालानुगम
अन्तरानुगम
नाना जीवों की अपेक्षा भंगविचपानुगम
भागाभागानुगम
परिमाणानुगम
क्षेत्रानुगम
नानुगम
कालानुगम
अन्तरानुगम
भावानुगम
बहुत्वानुगम
पदनिक्षेप
इसके तीन अनुयोगद्वार समुत्कीर्तनानुगमके दो भेद
उत्कृष्ट समुत्कीर्तनानुगम जघन्य समुत्कीर्तनानुगम
२०२ स्वामित्वानुगम के दो भेद
२०३
उत्कृष्ट स्वामित्वानुगम
२०३
२०३
२०४
२०४
२०५
२०६ वृद्धिउदीरणा
२०६
उसके तेरह अनुयोगद्वार
२०८
समुस्कीर्तनानुगम
२०६ स्वामित्वानुगम २०६ कालानुगम
जघन्य स्वामित्वांनुगम
अल्पबहुत्व के दो भेद
20 435
उत्कृष्ट अल्पबहुव
जघन्य अपबहुत्व
२१४
२१५
२१६
२१६
२१७
२१७
२१५
२१६
२१६
२१६
२.२०
२२०
२२०
२२०
२२०
२२०
२२०
२२१
२२२
२१२
२२२
२२२
२२२
२२२
२२३
२२३