Book Title: Kasaypahudam Part 10
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Mantri Sahitya Vibhag Mathura
View full book text
________________
विषय
प्रकृतिस्थानप्रदेशके १७ अनुयोगद्वार कीर्तन दो भेद
इन दोनों के एक साथ कथनका निर्देश स्थानसमुत्कीर्तनाका लक्षण निर्देश
प्रकृति निर्देशका लक्षणकयन
इन दोनोंका एक साथ कथन
सादि आदि ४ अनुयोगद्वार स्वामित्व
एक जीवकी अपेक्षा काल
एक जीवको अपेक्षा अन्तर
नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय
भागाभागानुगम
परिमाणानुगम
क्षेत्रानुगम
स्पर्शनानुगम
कालानुगम
अन्तरानुगम
भावानुगम
बहुस्व
भुजगार
इसके १३ अनुयोगद्वार
समुत्कीर्तनानुगम
स्वामित्वानुगम
कालानुगम
अन्तरानुगम
नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय
भागाभागानुगम
परिमाणानुगम
क्षेत्रानुगम
स्पर्शनानुगम
कालानुगम
अन्वरानुगम
भावानुगम
अल्पबहुत्व
पदनिक्षेप
इसके तीन अनुयोगद्वारोंकी सूचना समुत्कीर्तन के दो भेद
मार्गदर्शक :- आचार्य श्री सुविधिसागर जी महाराज
( १४ )
पृष्ठ
११२
११२
११३
११३
११३
११३
१३०
१३०
१३१
१४३
१४७
१४६ रामुत्कीर्तनानुगम
१४६
स्वामित्वानुगम
१५०
१५.०
१५.३
१५६
१५८
१५८
विषय
उत्कृष्ट समुत्कीर्तना
जघन्यसमुत्कीर्तना
स्वामित्व के दो भेद
उत्कृष्ट स्वामित्व
जघन्य स्वामित्व
अल्प दो प्रकार
उत्कृष्ट अल्पबहुत्व
जघन्य अपबहुत्व
१७१
१७१
१७१
१७२
१७४
१७५
*€
१७६
دی
इसके १३ अनुयोगद्वार
क्षेत्रानुगम
४६४
स्पर्शनानुगम
१६४ कालानुगम
१६४
१६५
१६५
१६८
o o
कालानुगम
अन्तरानुगम
नाना जीवांकी अपेक्षा भंगविचानुगम
भागाभागानुगम
परिमाणानुगम
५ वृद्धिप्रवेशक
अन्तरानुगम
भावानुगम
अल्पबहुत्वानुगम
'खेत्त भत्र काल' इत्यादि गाद्यांशका
विशेष व्याख्यान
कर्मोदय और उसके बाह्म निमित्तोंका निर्देश
कर्मोदय चार प्रकारका है इसका निर्देश
उदय और उदीरणामें अन्तरका निर्देश
उरणा कथन से ही उदयका कथन हो जाता
है इसका निर्देश
६ स्थितिउदीरणा
स्थितिउदीरणाके दो भेदोंका निर्देश स्थितिउदीरणा के अनुयोगद्वारोंका निर्देश
७ मूलप्रकृतिस्थितिउदीरणा
पृष्ठ
१७७
१७७
१७७
१७७
१७८
૨૩૨
१७३
१८०
१८०
१८०
१५१
१८२
؟
१ ८ २
१८३
१८३
१८४
१८४
52
१८५
१८५
१८७
१८७
१८७
१८८
१८८
१६८
१८६.
१.७७
१७७ मूलप्रकृति स्थितिउदीरणामें २३ तथा उत्तर