Book Title: Karmprakruti Mool
Author(s): Vanchayamashreeji
Publisher: Girdharlal Kevaldas Dalodwala

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Page 28
________________ बंधनकरण सेढिअसंखियमित्ता, फड्डगमेत्तो अणंतरा नत्थि । जाव असंखा लोगा, तो बीयाई य पुवसमा ॥८॥ सेढिअसंखिअमेत्ताई, फड्डगाइं जहन्नयं ठाणं । फड्डगपरिवुढिअओ, अंगुलभागो असंखतमो ॥८॥ सेढिअसंखियभागं, गंतुं गंतुं हवंति दुगुणाई । पल्लासंखियभागो, नाणागुणहाणि ठाणाणि ॥१०॥ वुडिहाणिचउकं, तम्हा कालोत्थ अंतिमल्लीणं । अंतोमुहुत्तमावलि-असंखभागो य सेसाणं ॥११॥ चतुराई जावट्ठगमित्तो, जाव दुगं ति समयाण । पजत्तजहन्नाओ, जावुकोसं ति उक्कोसो ॥१२॥ एगसमयं जहन्नं, ठाणाणप्पाणि अट्ट समयाणि । उभओ असंखगुणियाणि, समयसो ऊण ठाणाणि ॥43 सव्वत्थोवो जोगो, साहारणसुहमपढमसमयम्मि । बायरबियतियचउर-मणसन्नपजत्तगजहन्ना ॥१॥ आइदुगुकोसो सिं, पजत्तजहन्नगेयरे य कमा । उक्कोसजहन्नियरो, असमत्तियरे असंखगुणो ॥ १५ ।। अमणाणुत्तरगेविज-भोगभूमिगयतइयतणुगेसुं ।। कमसो असंखगुणिओ, सेसेसु य जोगु उक्कोसो॥१५॥

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