Book Title: Karmprakruti Mool
Author(s): Vanchayamashreeji
Publisher: Girdharlal Kevaldas Dalodwala

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Page 35
________________ २४ कर्मप्रकृति एमेव विसोहीओ, विग्यावरणेसु कोडिकोडीओ। उदही तीसमसाते, अद्धं थीमणुयदुगसाए॥७०॥ तिविहे मोहे सत्तरि, चत्तालीसा य वीसई य कमा। दस पुरिसे हासरई-देवदुगे खगइचेट्टाए ॥७१॥ थिरसुभपंचगउच्चे, चेवं संठाणसंघयणमूले । तब्बीयाइ बिवुड्डी, अट्ठारससुहुमविगलतिगे ॥ तित्थगराहारदुगे, अंतो वीसा सनिचनामाणं । तेत्तीसुदही सुरनारयाउ, सेसाउ पल्लतिगं ॥ आउचउक्कुक्कोसो, पल्लासंखेजभागममणेसु । सेसाण पुव्वकोडी, साउतिभागो अबाहा सिं ॥ वाससहस्समबाहा, कोडाकोडीदसगस्स सेसाणं । अणुवाओ अणुवट्टण गाउसु छम्मासिंगुकोसो ॥ भिन्नमुहुत्तंआवरणविग्ध-दसणचउक्लोभंते । बारससायमुहुत्ता, अट्ठ य जसकित्तिउच्चेसु ॥ दो मासा अद्धद्धं, संजलणे पुरिस अट्ठ वासाणि । भिन्नमुहुत्तमबाहा, सव्वासिं सवहिं हस्से ॥ खुड्डागभवो आउसु, उववायाउसु समा दस सहस्सा उकोसा संखेजा, गुणहीण आहारतित्थयरे ॥

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