Book Title: Karmprakruti Mool
Author(s): Vanchayamashreeji
Publisher: Girdharlal Kevaldas Dalodwala
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बंधनकरण
वग्गुकोसठिईणं, मिच्छत्तुक्कोसगेण जं लद्धं । सेसाणं तु जहन्नो, पल्लासंखेजगेणूणो ॥ एसेगिंदियडहरो, सव्वासिं ऊणसंजुओ जेट्ठो। पणवीसा पन्नासा, सयं सहस्सं च गुणकारो॥ कमसो विगलअसन्नीण, पलसंखेजभागहा इयरो। विरए देसजइदुगे, सम्मचउक्के य संखगुणो ॥ सन्निपजत्तियरे, अभितरओ उ कोडिकोडीओ। ओघुक्कोसो सनिस्स, होइ पजत्तगस्सेव ॥ मोत्तूण सगमबाहं, पढमाइ ठिइ बहुतरं दव्वं । एत्तो विसेसहीणं, जावुकोसं ति सव्वेसिं॥ पल्लासंखियभागं, गंतुं दुगुणूणमेवमुक्कोसा । नाणंतराणि पल्लस्स, मूलभागो असंखतमो॥ मोत्तूण आउगाई, समए समए अबाहहाणीए । पल्लासंखियभागं, कंडं कुण अप्पबहमेसि ॥ बंधाबाहाणुकस्सियरं, कंडकअबाहबंधाणं । ठाणाणि एकनाणंतराणि, अत्थेणकंडं च ॥ ठिइबंधे ठिइबंधे, अज्झवसाणाणसंखया लोगा। हस्सा विसेसवुड्डी, आऊणमसंखगुणवुड्डी ॥

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