Book Title: Karmprakruti Mool
Author(s): Vanchayamashreeji
Publisher: Girdharlal Kevaldas Dalodwala

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Page 59
________________ ४८ ४८.......................... कर्मप्रकृति घाईणं अजहन्ना, दोण्हमणुकोसियाओ तिविहाओ वेयणिएणुकोसा, अजहन्ना मोहणीए उ ॥ ५४॥ साइअणाई धुव अधुवा य,तस्सेसिगा य दुविगप्पा। आउस्स साइ अधुवा, सव्वविगप्पा उ विन्नेया ५५ मउलहुगाणुकोसा,चउव्विहा तिहमवि य अजहन्ना णाइगधुवा य अधुवा, वीसाए होयणुकोसा ५६ तेवीसाए अजहन्ना वि य, एयासि सेसगविगप्पा। सव्वविगप्पा सेसाण, वावि अधुवा य साई य५७ दाणाइ अचक्खूणं, जेट्ठा आइम्मि हीणलद्धिस्स । सुहुमस्स चकखुणो पुण, तेइंदिय सव्वपज्जते ५८ निदाइपंचगस्स य, मज्झिमपरिणामसंकिलिट्ठस्स। अपुमादिअसायाणं, णरए जेट्ठठिइ समत्तो॥५९॥ पंचिंदियतसबायर, पजत्तगसायसुस्सरगईणं । वेउव्वुस्सासाण देवो, जेट्ठाट्ठिउ समत्तो ॥६०॥ सम्मत्तमीसगाणं, सेकाले गहिहिइत्ति मिच्छत्तं । हासरईणं सहस्सा-गस्स पजत्तदेवस्स ॥६१॥ गइहुंडुवघायाणि?-खगइनीयाण दुहचउक्कस्स। निरउक्कस्स समत्ते असमत्ताए नरस्संते ॥६२ ॥

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