Book Title: Karmprakruti Mool
Author(s): Vanchayamashreeji
Publisher: Girdharlal Kevaldas Dalodwala

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Page 56
________________ उदारणाकरण ............................ इगवीसा छच्च सया छहि, अहिया नवसया य एगहिया। अउणुत्तराणि चउदस, सयाणि गुणनउइ पंचसया ॥ २७ ॥ पंच नव नवगछक्काणि, गइसु ठाणाणि सेसकम्माणं । एगेगमेव णेयं, साहित्तेगेगपगईओ ॥२८॥ संपत्तिए य उदए, पओगओ दिस्सए उईरणा सा। सेचीकाठिइहिंतो, जाहिंतो तत्तिगा एसा ॥२९॥ मूलठिई अजहन्ना, मोहस्स चउबिहा तिहा सेसा। वेयणियाऊण दुहा, सेसविगप्पा य सव्वासिं ३० मिच्छत्तस्स चउद्धा, अजहन्नाधुवउदीरणाण तिहा। सेस विगप्पा दुविहा, सव्वविगप्पा य सेसाणं ३१ अद्धाच्छेओ सामित्तं पिय ठिइसंकमे जहा नवरं । तब्वेइसु निरयगईए वा वि तिसु हिट्ठिमखिईसु ३२ देवगतिदेवमणुयाणुपुत्वी, आयावविगलसुहुमतिगे। अंतोमुहुत्तभग्गा, तावइगूणं तदुक्कस्सं ३३ तित्थयरस्स वि. पल्लासंखिजइमे जहन्नगे इत्तो । थावरजहन्नसंतेण, समं अहिगं व बन्धन्तो ॥३४॥ गंतूणावलिमिचं, कसायबारसगभयदुगंछाणं । निदाइपंचगस्स य, आयावुजोयनामस्स ॥३५॥

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