Book Title: Karmprakruti Mool
Author(s): Vanchayamashreeji
Publisher: Girdharlal Kevaldas Dalodwala

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Page 53
________________ उदीरणाकरणम् जं करणेणोकडिय, उदए दिजइ उदीरणा एसा । पगइठिइअणुभाग-प्पएसमूलुत्तरविभागा ॥१॥ मूलपगईसु पंचण्ह, तिहा दोण्हं चउब्विहा होइ । आउस्स साइ अधुवा, दसुत्तरसउत्तरासिंपि॥२॥ मिच्छत्तस्स चउद्धा,तिहाय आवरणविग्घचउदसगे थिरसुभसेयर उवघाय-चज धुवबंधिनामे य॥३॥ घाईणं छउमत्था, उदीरगा रागिणो य मोहस्स । तइयाऊण पमत्ता, जोगंता उ त्ति दोण्हं च ॥४॥ विग्यावरणधुवाणं,छउमत्था जोगिणो उ धुवगाणं। उवघायस्स तणुत्था,तणुकिट्टीणं तणुगरागा ॥५॥ तसबायरपजत्तग-सेयरगइजाइदिट्ठिवेयाणं । आऊण य तन्नामा, पत्तेगियरस्स उ तणुत्था ॥६॥ आहारगनरतिरिया, सरीरदुगवेयए पमोत्तूणं । ओरालाए एवं, तदुवंगाए तसजियाओ ॥७॥ वेउब्वियाए सुरनेरईया, आहारगा नरो तिरिओ। सन्नी बायरपवणो य, लद्धिपजत्तगोहोजा ॥८॥

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