Book Title: Karmprakruti Mool
Author(s): Vanchayamashreeji
Publisher: Girdharlal Kevaldas Dalodwala
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संक्रमणकरण
३७
तत्तो अनंतरागय - समयादुक्कस्स सायबंधद्धं । बंधिय असाय बंधावलि - गंतसमयम्मि सायस्स ८१ संछोभणा दोन्हं, मोहाणं वेयगस्स खणसेसे । उप्पाइय सम्मत्तं, मिच्छत्तगए तमतमाए ॥ ८२ ॥ भिन्नमुहुत्ते सेसे, तच्चरमावस्सगाणि किचेत्थ । संजोयणा विसंजोयगस्स, संछोभणा एसिं ॥ ८३ ॥ ईसाणागयपुरिसस्स, इत्थियाए व अट्ठवासाए । मासपुहुत्तब्भहिए, नपुंसगे सव्वसंकमणे ॥ ८४ ॥ इत्थीए भोगभूमिसु, जीविय वासाण संखियाणि - तओ । हस्सठिई देवत्ता, सव्वलहुं सव्वसंछोभे ॥ ८५ ॥ वरिसव रित्थि पूरिय, सम्मत्तमसंखवासियं लहिय । गंता मिच्छत्ताओ, जहन्नदेवट्ठिरं भोच्चा ॥ ८६॥ आगंतुं लहुपुरिसं, संछुभमाणस्स पुरिसवेयस्स । तस्सेव सगे कोहस्स, माणमायाणमवि कसिणो ८७ चउरुवसमित्तु खिप्पं, लोभजसाणं ससंकमस्संते । सुभधुवबंधिगनामाणा - वलिगं गंतु बंधंता ॥८८ निद्धसमाय थिरसुभा, सम्मद्दिट्ठिस्स सुभधुवाओ वि सुभसंघयणजयाओ, बत्तीससयो दहिचियाओ ८९

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