Book Title: Karmprakruti Mool
Author(s): Vanchayamashreeji
Publisher: Girdharlal Kevaldas Dalodwala

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Page 38
________________ बंधनकरण - - - - - -- - ठाणाणि चउट्ठाणा, संखेजगुणाणि उवरिमे एवं । तिहाणे बिट्ठाणे सुभाणि एगंतमीसाणि ॥९७॥ उवरि मिस्साणि जहन्नगो, सुभाणं तओ विसेसहिओ। होइ असुभाण जहण्णो, संखेजगुणाणि ठाणाणि॥ बिठाणे जवमज्झा, हेट्ठा एगंतमीसगाणुवरि । एवं ति चउट्ठाणे, जवमझाओ य डायठिई ॥१९॥ अंतो कोडाकोडी,सुभबिट्ठाण जवमज्झओ उवरि। एगंतगा विसिट्ठा, सुभजिट्ठा डायठिइजेट्ठ॥१००॥ संखेजगुणा जीवा, कमसो एएसु दुविहपगईणं । असुभाणं तिट्ठाणे, सव्वुरि विसेसओ अहिया ॥ एवं बंधणकरणे, परूविए सह हि बंधसयगेणं । बंधविहाणाहिगमो,सुहमभिगंतुं लहुँ होइ ॥१०१॥ समाप्तम् संक्रमणकरण सो संकमो तिवुच्चइ, जंबंधणपरिणओपओगेणं । पगयंतरत्थदलियं, परिणमइ तयणुभावे जं ॥१॥

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