Book Title: Karmprakruti Mool
Author(s): Vanchayamashreeji
Publisher: Girdharlal Kevaldas Dalodwala
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कर्मप्रकृति
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पंच चउके बारस, एकारस पंचगे तिगचउके । दसगं चउक्कपणगे, नवगं च तिगम्मि बोधव्वं १९ अट्ठदुगतिगचउक्के,सत्त चउक्के तिगेयबोधन्वा। छक्कं दुगम्मि नियमा, पंच तिगे एक्कगदुगेय २० चत्तारि-तिगचउक्के, तिन्नितिगे एकगे य बोधव्वा । दो दुसु एक्काए विय, एक्का एक्काए बोधव्वा २१ . अणुपुव्विअणाणुपुवी, झीणमझीणे य
दिट्ठिमोहम्मि । उवसामगे य खवगेय, संकमे मग्गणोवाया॥२२॥ तिदुगेगसयं छप्पण-चउतिगनउई य इगुणनउईया। अट्ठचउदुगेक्कसीइ य, संकमा बारस य छट्टे २३ तेवीसपंचवीसा, छव्वीसा अट्ठवीसगुणतीसा। तीसेकतीसएगं, पडिग्गहा अट्ट नामस्स ॥२४॥ एकगदुगसय पण-चउनउई ता तेरसूणिया वावि । परभवियबंधवोच्छेय, उपरि सेढीइ एक्किस्से २५ तिगद्गसयं छपंचग-नउइ य जइस्स एकतीसाए। एगंतसेढिजोगे, वजिय तीसिगुणतीसासु ॥२६॥

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