Book Title: Karmprakruti Mool
Author(s): Vanchayamashreeji
Publisher: Girdharlal Kevaldas Dalodwala

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Page 32
________________ बंधनकरण अप्पबहुमणंतरओ, असंखगुणियाणणंतगुणमाई। तविवरीयमियरओ,संखेजक्खेसु संखगुणं॥४३॥ थावरजीवा जंता, एकेके तसजिया असंखेजा । लोगा सिमसंखेजा, अंतरमह थावरे नत्थि॥४४॥ आवलिअसंखभागो, तसा निरंतरं अहेगठाणंमि। नाणा जीवा एवइकालं, एगिंदिया निचं ॥४५॥ थोवा जहन्नठाणेजा,जवमज्झं विसेसओ अहिया। एत्तो हीणा उक्कोसगंति जीवा अणंतरओ॥४६॥ गंतूणमसंखेज लोगे, दुगुणाणि जाव जवमझं । एत्तो य दुगुणहीणा, एवं उक्कोसगं जाव ॥४७॥ नाणंतराणि आवलि-असंखभागो तसेसुंइयरेसुं । एगंतरा असंखिय-गुणाइँ नाणंतराइं तु ॥४८॥ फासणकालो तीए, थोवो उक्कोसगे जहन्ने उ । होइ असंखेज-गुणो य, कंडगे तत्तिआचेव॥४९॥ जवमज्झकंडगोवरि जवमज्झ अ असंखगुणो। कमसो जवमझुवरिं, कंडगहेट्ठा य तावइओ ५० जवमझुवरि विसेसो, कंडगहेट्ठा य सव्वहिं चेव । जीवप्पाबहुमेवं, अज्झवसाणेसु जाणेजा ॥५१॥

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