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सतीश बाबू जी तो बहुत दिनों से बीमार हैं। उन्होंने क्या बाह. की चीज खाई थी ?
राकेश ( कुछ उत्तर न सोच पाकर ) हाँ और क्या !
शीला ये लड़के तो रोज बाहर की चोज खाते हैं। ये कभी बीमार नहीं होते।
राकेश होते क्यों नहीं ? तुम्हें याद नहीं है, उस दिन हरी खाट पर पड़ा चिल्ला रहा था ?
सतीश भैया, उसके तो चोट लग गई थी। ( जरा-मा उन्चककर गली को तरफ झाँकता है ) गन्ने का रस होता खूब मीठा है। कल बाबू जो ने एक गडेरी मुझे दी थी।
शीला
उसमें बर्फ पड़ जाय तो कितना ठंडा हो जाता है !
सतीश हमारा शरवत भी मीठा होता है, पर उसमें बरफ नहीं डाली जाती कभी।