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ईसा भाई, न जाने क्यों यह इच्छा हो रही है कि अभी ही तुम्हें गले भी लगालूँ !
__ भारतीय (हाथ फैला कर) अच्छी बात है, (गले लगा कर) बड़े भावुक हो!
ईसा चलो, तुम्हें थोड़ी दूर पहुँचा दूँ, विदा करने की रस्म भी मैं अभी ही पूरी कर लेना चाहता हूँ। (दोनों शिष्य से) तुम लोग यहीं रहना । अभी आया मैं ।
(भारतीय सहपाठी के साथ ईसा का प्रस्थान । दोनों शि यो कुछ देर उसी ओर देखते रहते है।)
पहला गुरुदेव की प्रकृति में श्राज तुम कुछ परिवर्तन लक्ष्य कर रहे हो ?
दूसरा यही मैं भी सोच रहा था। उनके मुख पर आज सरलता नहीं खेल रही है ; जैसे किसी गंभीर स्थिति पर वे विचार कर रहे हैं।
पहला तुम्हारा अनुमान ठीक है। आज उनमें भावों का आवेश