Book Title: Karmpath
Author(s): Premnarayan Tandan
Publisher: Vidyamandir Ranikatra Lakhnou

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Page 118
________________ ( ११८ ) तीसरा शिष्य भगवन, राज्य के सैनिक......। दोनों शिष्य ऐं..... सैनिक ! राज्य के ? ईसा क्या किया सैनिकों ने ?' तीसरा दूर पर वेश बदले हुए बहुत से सैनिक घूम रहे हैं ! उनका लक्ष्य यही मकान जान पड़ता है। अच्छा, बाहर जाओ। कोई विशेष बात हो तो सूचना देना। (तीसरे शिष्य का प्रस्थान) पहला तो क्या.......। वे मुझे बंदी बनाने आये हैं। उसकी चिंता छोड़ो। मैं कह रहा था तुमसे कि परीक्षा लूँगा तुम्हारी । समय कम है। इसलिए साफ-साफ सुनो ; मुझे बंदी कराने में मेरे एक नासमझ मित्र का भी हाथ है। दोनों (अचकचाकर)ऐं! आपके मित्र का हाथ !

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