Book Title: Karmpath
Author(s): Premnarayan Tandan
Publisher: Vidyamandir Ranikatra Lakhnou

View full book text
Previous | Next

Page 109
________________ ( १०६ ) भेंट दे सकते हैं, निधनों को तो ठोकर मार कर निकाल दिया जाता है । घूस के बिना जैसे ईश्वर भी प्रसन्न नहीं होता। भारतीय तब तो राजा अधर्मी भी है ! ऐसा राज्य अधिक समय तक नहीं चल सकता। पहला शिष्य राजा के अत्याचार के विरुद्ध जो भी आवाज उठाता है वही तलवार के घाट उतार दिया जाता है। हमारे धर्म-पिता ने जब इम अत्याचार का विरोध किया तो उन्हे भी मरवा दिया गया । भारतीय (गभीर और विचार मग्न होकर) अत्याचार जब सीमा के बाहर हो जाता है तभी क्रांति होती है। क्रांति के लिए थिति राजा के अत्याचार ने प्रस्तुत कर दी है। केवल पूर्णाहुति की आवश्यकता है। ईसा (प्रवेश क के) इसका भी प्रबंध हो गया है भाई । (भारतीय सहपाठी उसकी ओर देखने लगता है ; दोनों शिष्य भी चौंक पडते है । तीनों विशेष उत्सूकता से उनकी ओर ताकते हैं। ईसा शांत भाव से बैठ जाते हैं।) दोनों शिष्य क्या कहा आप ने अभी ?

Loading...

Page Navigation
1 ... 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129