Book Title: Karmpath
Author(s): Premnarayan Tandan
Publisher: Vidyamandir Ranikatra Lakhnou

View full book text
Previous | Next

Page 95
________________ ( ५ ) राजीव एक जरूरी काम से चला गया था । [ राजीव एक बार पुनः सबकी ओर देखता है। कांति से भी इस बार चार आँखें होती हैं। कांति दृष्टि नीची कर लेती है। ] मालती अब कैमा जी है आपका ? राजीव (बैठकर ) ठीक है, जरा चक्कर आ गया था। आप लोगों को बड़ा कष्ट हुआ मेरे कारण । बैठिए अब । [राजीव स्वयं पंखा ले लेता है। तीनों स्त्रियाँ चटाई पर बैठती हैं । निरंजना और मालती का मुख राजीव की ओर है ; कांति दूसरी ओर देखती है। राजीव ( स्वस्थ स्वर में निरंजना से ) आपका लेख पढ़ा था मैंने । निरंजना पर छापा नहीं ? राजीव ( हँसकर ) हाँ, अभी तो नहीं छपा है। निरंजना आप वह मुझे दे दीजिए। मैं उसे जरा बढ़ाऊँगी।

Loading...

Page Navigation
1 ... 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129