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राजीव एक जरूरी काम से चला गया था ।
[ राजीव एक बार पुनः सबकी ओर देखता है। कांति से भी इस बार चार आँखें होती हैं। कांति दृष्टि नीची कर लेती है। ]
मालती अब कैमा जी है आपका ?
राजीव (बैठकर ) ठीक है, जरा चक्कर आ गया था। आप लोगों को बड़ा कष्ट हुआ मेरे कारण । बैठिए अब ।
[राजीव स्वयं पंखा ले लेता है। तीनों स्त्रियाँ चटाई पर बैठती हैं । निरंजना और मालती का मुख राजीव की ओर है ; कांति दूसरी ओर देखती है।
राजीव ( स्वस्थ स्वर में निरंजना से ) आपका लेख पढ़ा था मैंने ।
निरंजना पर छापा नहीं ?
राजीव ( हँसकर ) हाँ, अभी तो नहीं छपा है।
निरंजना आप वह मुझे दे दीजिए। मैं उसे जरा बढ़ाऊँगी।