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दूसरा सहायक (हाथ जोड़कर ) अच्छा, अब आज्ञा दें।
[ दोनों 'नमस्ते' करके जाते हैं। मालती आँगन की ओर का दरवाजा बंद कर देती है। निरंजना अब भी हवा कर रही है । कांति मूतिवत् खड़ी है ; समझ नहीं पाती कि क्या करे । शची पलँग के पैताने खड़ी है । वंडल उसके हाथ में है। ]
निरंजना ( धीरे से ) गरमी और लू है भो ता गजब की। मेरा तो यहाँ तक आते-अ ते जैसे दम निकल गया था।
___ मालती और फिर ये तो कहीं आते-जाते नहीं लू धूप में। जो निकलता हो, उसकी आदत बनी रहे।
निरंजना आज न जाने क्यों बाहर गये । ( कांति से ) इन्हें बाहर मत जाने दिया को दोपहर को।
[ कांति कुछ उत्तर नहीं देती ; दृष्टि बचाकर शची की ओर देखती है और संकेत से चुप रहने को कहती है।]
कांति जरा सा पानी दिया जाय ?
मालती अभी मक जागो । पहले दवा दे दो।