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राकेश अाजकल बहुन मँहगी है।
सतीश मँहगी ! मँहगो क्या भैया ?
राकेश आजकल जरा सी चीज खरीदने में बहुत से रुपए देने पड़ते हैं।
[ गली में गन्नेवाले के चारो तरफ लड़के-लड़कियों की भीड़ है । एकाएक बड़े-बड़े सींगों वाली एक गाय श्राकर गन्ने के चीफुरों में मुँह मारती है । रसवाला उसे मारकर भगाता है, डर कर लड़के भी भागते हैं। राकेश, शीला, सतीश तोनों तखत से उठकर खड़े हो जाते हैं और जीने के ऊपर खड़े होकर देखने लगते हैं। थोड़ी देर बाद श्राकर फिर बैठ जाते हैं ]
सतीश . गाय है अच्छी, पर दुबली-पतली है।
शीला
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हमारो तरह उसके भी सब हड्डियाँ निकली हुई हैं।
राकेश इन्हें भी आजकल पेट भर खाने को नहीं मिलता है।
सतोश ___ दूध तो देती हैं ये । हम बाबू जी के लिए रोज लाते हैं।