Book Title: Jjagad Guru Aacharya Vijay Hirsuriji Maharaj
Author(s): Rushabhratnavijay
Publisher: Jagadguru Hirsurishwarji Ahimsa Sangathan

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जीवन वृत जन्म वि.सं. १५८३ मृगशीर्ष सुदि ९ पालनपुर सोमवार दीक्षा वि.सं. १५९६ कारतक वदि तपश्चर्या 81 अठ्ठम (तेले) का तप छठ्ठ (बेले) का तप 225 3600 उपवास का तप आयंबिल - 2000 नीवी - 2000 वीरास्थानक तप 20 बार आचार्यदेव श्रीमद् विजय हीरसूरीश्वरजी महाराजा.. ककक -३४ - पंन्यासपद वि.सं. १६०७ - नाडलाई उपाध्यायपद वि.सं - १६०८ महा सुद ५- नाडलाई आचार्यपद वि.सं. १६१० पोषसुद - ५ सिरोही उम्र २७, दीक्षा पर्याय- १४ गच्छाधिपति (भट्टारक) पद वि.सं. १६२२ (उम्र ३९, दीक्षापर्याय - २६) स्वर्गगमन वि.सं. १६५२ भादरवासुद ११ ऊना - गुरुवार शिष्यपरिवार - आचार्य १ साध्वी - ३००० साधु - २००० पंन्यास उपाध्याय ७ श्रावक - २ पाटण- १३ वर्षसे कुछ न्यून उम्र में - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (400 आयंबिलसे और 400 उपवास से) सूरिमंत्रध्यान - 3 मास ज्ञान आराधना 22 मास (आयंबिल नीवीसे) गुरूभक्ति तप 13 मास 50 अंजनशलाका प्रतिष्ठा 108 साधु को दीक्षा प्रदान की । (G) १६० श्राविका - लाखो For Private and Personal Use Only जालोर 卖 कककककककक

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