Book Title: Jjagad Guru Aacharya Vijay Hirsuriji Maharaj
Author(s): Rushabhratnavijay
Publisher: Jagadguru Hirsurishwarji Ahimsa Sangathan

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Page 71
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org KOOKOONS काउसग्ग ध्यान अभिग्रह करे, प्रतिमा बार मनाय । दश वैकालिक नित्य जपे चार करोड सज्झाय 113 11 पण्डित एकसौ साठ थे, साधु कई हजार I एक सूरि उवज्झाय आठ यह गुरू का परिवार ॥ ४ ॥ (ढाल ७) (तर्ज- केशरिया ने कैसे जहाज तिरायां ? ) -5038 जगद् गुरू आज अमोलख पाया, नर भव. सकल मनाया । जगद् गुरू ने जगत के हित में जीवन सारा बिताया । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आपके शिष्य प्रशिष्यों ने भी, कीना काम सवाया ॥ ज ॥ १ ॥ वाचक शान्तिचन्द्र गणि ने, कृपा ग्रन्थ बनाया । सुनकर शाह ने अपने जीवन में, मुरदा नहीं दफनाया ।। २ ।। कल्याण मल के कष्ट पिंजर से, खंभात संध को छुडाया । हुमायू का इल्म बताया, जम्बूवृति बनाया भानुचन्द्र ने शाही द्वारा वाचक का पद पाया । शाही के पुत्र को ज्ञान बढाया, तीरथ पट्टा पाया ।। ज ।। ।। ४ ।। पटधर सेन सूरी आलम में, गौतम कल्प गवाया । पाटण राजनगर खंभात में, पर गच्छी को हराया ॥ ज ॥ ॥ ५ ॥ सूरत में श्री भूषणदेव को बाद में दूर भगाया । शाही सभा में पांच से भट से, बाद में जय अपनाया ॥ ६ ॥ अकबर से षट जल्प को पाया, मृत धन आदि हटाया । सवाई हीर का बिरूद पाया, परविख पुण्य गवाया ॥ ज ।। ७ ।। अकबर के पण्डित सभ्यों में, जिनका नाम लिखाया । ONDOKOONG 56 विजय सेन भानुचन्द्र अमर है, शासन राग सवाया ॥ ज ॥ ॥८ ॥ अष्टावधानी नंदनविजयजी, सिद्धिचन्द्र गणिराया । ।। ज ।। ९ ।। विवेक हर्षगणी इन्होने, शाही से धर्म कराया पड पट्ट घर श्री देवसूरि ने वादी से जय पाया । Moonbe For Private and Personal Use Only ॥ जं ॥ 11 3 11

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