Book Title: Jjagad Guru Aacharya Vijay Hirsuriji Maharaj
Author(s): Rushabhratnavijay
Publisher: Jagadguru Hirsurishwarji Ahimsa Sangathan

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Page 79
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 28,03exas,pbevar,pras,Coenae, ex@a, yaan29,% आचार्य हीरसूरिपट्टक... सेनसूरिम आदिको उद्देशकर १८ गुछायारिवासियाविनासीकीनघा बीनही नमघाश्तोगीताधियाबिलक राव।। १० बघडिमाहिडिलादिकारविबाहि रिना कदाचिङाश्तोगीताधितद निशबिलकराव घवाभाग लिराषीसहस्सरसनायरकराव।। २० कालसंझाईशबिलकर २१चनमासानोडासंवबरीनुग्रह मसोटकारविनानमुकः। २२पाडिहारीकोबलुवस्त्रसवधानले २३ नीषारंवस्त्रवर्षपराकर्तिक. रीबाह्यवावर॥ २४ क्रियानुवानविधिकरवानुषपवि दीर्घधीकरणपडिलेहिने 'वस्त्रनवावरवा एकतापणिशक्ति प्रयोदापालवी अनिसघाजिपामादेवाचकादश्चित देननमस्कस्खादिमर्यादाकोश्ऋति कृभिवतेदनियायोगिकाबिलानीवी एकासाप्राक परिब सर्दिपायश्चित गीतावकरावनिकोरडेगुरुर्निजता वगतमानिविहार कासकरार पांत्रीसबालपालवायन व वापिौत्रीम के बोलनुपराबारबोलपटा ज्ञानानुपटु। विजामानितंततावडानमरवएप तालमरनिपुरमा नियमावनिकरितामा मकल्पादिम नैकरचुतम SHASTRIESHDSPCBSHSERESHDSPRESEASEKISSHASTROSHDSITESHISSPAS 64 For Private and Personal Use Only

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