Book Title: Jjagad Guru Aacharya Vijay Hirsuriji Maharaj
Author(s): Rushabhratnavijay
Publisher: Jagadguru Hirsurishwarji Ahimsa Sangathan

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Page 67
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Wapoyar,coxas, y29,8x29,008%29.goyao,cuando, चतुर्थ धूप पूजा (दोहा) अकबर दिल में चितवे, भारत का सुलतान । बुलाऊं गुरू हीरजी, जैनों का सुलतान ॥ १ ॥ थानसिंह ओसवाल को, बोले अकबर शाह । बुलावो गुरू हीर को, सुधरे जीवन राह || २ || थानसिंह कहे जहांपनाह, दूर ही है गुरूराज । अकबर कहे पर भी उन्हें बुलावो मय साज || ३ || (ढाल ४) तर्जः शहीदों के खू का असर देख लेना हीर सूरि को बुलाना पडेगा, हम को भी दर्शन दिलाना पडेगा || हीर || १ || धन गुर्जर है ऐसे गुरू से, वहां से गुरू को बुलाना पडेगा ।। हीर ।। २ ।। राणा राणी दर्शन पावे, उनका ही दर्शन दिलाना पडेगा || हीर ।। ३ ।। नाम जाप से दुःख विदारे, ऐसे फकीर को यहां लाना पडेगा || हीर ।। ४ ।। वहीं से सहारा देवे चम्पा को, उस लोलिया से मिलाना पडेगा ।। हीर || ५ ।। घर दुनिया को दिल से छोडो, । खुदा का बन्दा बताना पडेगा || सब जीवों की रक्षा चाहे, यही कृपा रस पिलाना पडेगा || हीर ।। ७ ।। त्यागी ध्यानी पण्डित ज्ञानी, ____ उन्हों का उपदेश सुनाना पडेगा ।। हीर ।। ८ ।। सब मजहब से वाकिफ साहिब, उनका भी मजहब सुनाना पडेगा ।। हीर || ९ ॥ POMPOMOTOEKOPRO KONDEKNXO0a9/9e%a9%ela 52 || ६ = For Private and Personal Use Only

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