Book Title: Jjagad Guru Aacharya Vijay Hirsuriji Maharaj
Author(s): Rushabhratnavijay
Publisher: Jagadguru Hirsurishwarji Ahimsa Sangathan

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir အာာာာာာာာာာာာာာာာာာ विजय हीरसूरीश्वरजी महाराजा दाना विनयेसुबकीय उसलारीकाशीय कृयामा मी महमियोमारने गोपिकक्षमाशीला भूपनि प्रतिक्षा अधिनियमानुसलि कि नगरेपनि गारदीयपुरेपूर विनिमेशा कामापुरेभान पावट्या Homमिया तपागच्छ उपाश्रय, पालनपुर जैन शासन में सोलहवीं शताब्दी में हुए जगद्गुरु आचार्य विजय हीरसूरीश्वरजी महाराजा का जीवन शासन प्रभावना के साथ - साथ जिनाज्ञा पालन पूर्वक का था। मुगल बादशाह अकबर को जिनेश्वर परमात्मा द्वारा प्रदर्शित अहिंसा का मार्ग दिखाकर जीवदया, तीर्थरक्षा, शासनप्रभावना , इत्यादि के द्वारा जैन धर्म का रागी बनाकर अपना 'जगद्गुरु' पद स्वपर कल्याण के माध्यमसे सार्थक किया। प्रभुवीर के शासन में पूज्य हरिभद्रसरीश्वरजी महाराजा, कलिकाल सर्वज्ञ पूज्य हेमचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा, जगद्गुरु अकबर प्रतिबोधक पूज्य हीरसूरीश्वरजी महाराजा इन तीनों महापुरुषोने जबरदस्त योगदान दिया है। हीरसूरीश्वरजी का बाह्य व्यक्तित्व बहुत आकर्षक और प्रभावशाली था, उनके व्यक्तित्व में चुम्बकीय आकर्षण था तो वाणी में ___ बडी चमत्कारी शक्ति थी, अकबर जैसा भक्त बार-बार उन्हें कहता"गुरुजी, कुछ सेवा बताइए" सूरिवर कहेते "दूसरों का भला करो, जीवों को अभयदान दो" इस उत्कृष्ट निष्पृहता से बादशाह अत्यंत प्रभावित हुआ था. । सूरिजी त्यागी, निष्पही साथमें जितेन्द्रिय भी थे। जिनके नाम स्मरण से भी कइ भक्तो के कार्य परिपूर्ण होते थे ऐसे जगद्गुरु हीरसूरीश्वरजी महाराजा के चरणों में वंदनावली.... ఆఫీస్ నీటిని నీ నీటిని నీటిని నీటిని నీటిని తన నటన For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83