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जीवन वृत
जन्म वि.सं. १५८३ मृगशीर्ष सुदि ९ पालनपुर सोमवार
दीक्षा वि.सं. १५९६ कारतक वदि
तपश्चर्या
81
अठ्ठम (तेले) का तप छठ्ठ (बेले) का तप 225
3600
उपवास का तप
आयंबिल - 2000
नीवी - 2000
वीरास्थानक तप 20 बार
आचार्यदेव श्रीमद् विजय हीरसूरीश्वरजी महाराजा..
ककक
-३४
-
पंन्यासपद वि.सं. १६०७ - नाडलाई
उपाध्यायपद वि.सं - १६०८ महा सुद ५- नाडलाई
आचार्यपद वि.सं. १६१० पोषसुद - ५ सिरोही उम्र २७, दीक्षा पर्याय- १४ गच्छाधिपति (भट्टारक) पद वि.सं. १६२२ (उम्र ३९, दीक्षापर्याय - २६) स्वर्गगमन वि.सं. १६५२ भादरवासुद ११ ऊना - गुरुवार शिष्यपरिवार - आचार्य १ साध्वी - ३०००
साधु - २००० पंन्यास
उपाध्याय ७ श्रावक
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२ पाटण- १३ वर्षसे कुछ न्यून उम्र में
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(400 आयंबिलसे और 400 उपवास से)
सूरिमंत्रध्यान - 3 मास
ज्ञान आराधना 22 मास (आयंबिल नीवीसे)
गुरूभक्ति तप 13 मास
50 अंजनशलाका प्रतिष्ठा
108 साधु को दीक्षा प्रदान की ।
(G)
१६०
श्राविका - लाखो
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जालोर
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