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॥ नमामि सव्वजिणाणं ॥
। [१] जिनमन्दिर
जगत् में जैन और जैनेतरों के अनेक मन्दिर हैं। जैनमन्दिरों का शिल्प, स्थापत्य और उनकी कला इत्यादि अनेरी और अनोखी है। भारतीय संस्कृति मन्दिरों एवं तीर्थों की पवित्र भूमि है। हमारी संस्कृति के सन्देशवाहक तीर्थ तथा मन्दिर हैं। जिनमन्दिर, जिनप्रतिमा और उनकी पूजा का विधान प्रात्मोन्नतिकारक एवं आत्मविकास के अद्वितीय साधन हैं, इतना ही नहीं किन्तु धार्मिक जीवन के अनुपम लक्ष्यबिन्दु हैं तथा कालिक मलौकिक कर्तव्य रूप हैं। जिनमन्दिर प्राध्यात्मिक शुद्धि का अद्भुत केन्द्ररूप पवित्र स्थल है। जैन मन्दिरों की अनुपम महिमा का सुन्दर वर्णन करते हुए एक समर्थ विद्वान् पण्डित ने यहाँ तक कहा है कि- "श्रीजिनमन्दिर विकास-मार्ग से विमुख प्राणियों को इस मार्ग पर मागे बढ़ने के लिए अगम्य उपदेश देने वाले मूल्यवान ग्रंथ हैं । पथभ्रष्ट भवाटवी के पथिकों को राह बताने के लिए प्रकाशस्तम्भ हैं। प्राधि, व्याधि व उपाधि के त्रिविध