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अनुमति एवं आशीर्वाद के लिए हम पूज्य आचार्यश्री एवं राज-राजेन्द्र ट्रस्ट का हृदय से अनेकश: आभार मानते हैं । आशा ही नहीं, अपितु विश्वास है कि यहाँ कहे अनुसार यह अभिनव प्रकाशन प्रत्येक जैन के उपरान्त सर्वजन सामान्य को - जन-जन को भी अवश्य ही सुख-शांति-स्वास्थ्य एवं सर्वसिद्धि प्रदाता सिद्ध होगा । इसीलिए इसे "जन-जन का जैन वास्तु सार" शीर्षक दिया गया हैं । इस नूतन संस्करण में अनेक अन्य साधु-साध्वियाँ और श्री विक्रम गुरुजी, जैन मित्रों, छात्र-छात्राओं की आशा अपेक्षाएँ भी सम्मिलित हैं। हम इन सभी के, विशेषतः प्रथमदो मार्गदर्शकों के, अत्यन्त आभारी हैं और आभारी हैं इस ज्ञान प्रकाशन के सुकृत सहयोगियों के। विशेषकर सी. पी. इनोवेशन के श्री वि. चन्द्र प्रकाश एवं इम्प्रिन्ट्स के श्री अंशुमालिन् शहा को हम उनके परिश्रमपूर्ण मुद्रण सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। इन सब के मंगलभावों से जग-जन तक पहुँचने की, सर्वजीवों को शासनरसिक बनाने की भावना सिद्ध होगी।
सत्पुरुषों का योगबल विश्व का कल्याण करे।
प्रा. प्रतापकुमार ज. टोलिया श्रीमती सुमित्रा प्र. टोलिया
दि. 27.04.2009
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जैन वास्तुसार