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पर समझें जिसमें आरंभ करने से अनेक प्रकार के शुभलाभ की प्राप्ति होती है। उन्नीस से इक्कीस नक्षत्र पूंछ पर समझें और इसमें आरंभ करने से स्वामी का विनाश होता है। बाईस से पच्चीस नक्षत्र बांई कोख पर समझें। इस समय गृह निर्माण का आरंभ करने पर गृहस्वामी दरिद्र रहता है। छब्बीस से अट्ठाईस नक्षत्र मुख पर समझें जिसमें कार्यारंभ करने से निरंतर कष्ट रहते हैं। इस प्रकार से देखें तो सूर्य के नक्षत्र से चन्द्रमा के नक्षत्र तक गिनने से प्रथम सात नक्षत्र अशुभ हैं, आठ से अठारह (8 - 18) नक्षत्र शुभ हैं, उन्नीससे अट्ठाईस नक्षत्र अशुभ हैं।
स्थान .. | नक्षत्र - फल
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पीडा
मस्तक पर 3 अग्निदाह अगले पैरों पर
शून्यता पीछले पैरों पर स्थिर वास पीठ पर
लक्ष्मी प्राप्ति दाहिनी कोख पर
लाभ पूंछ पर
| स्वामी नाश बांई कोख
निर्धनता मुख पर घर के आरंभ में राशि का फल ___धन, मीन, मिथुन और कन्या इन चार राशियों के ऊपर जब सूर्य हो तब कभी भी गृह निर्माण का आरंभ नहीं किया जाना चाहिए। तुला, वृश्चिक, मेष और वृष इन चार राशियों के ऊपर जब सूर्य हो तब पूर्व और पश्चिम दिशा के द्वारवाला घर न बनायें, लेकिन दक्षिण अथवा उत्तर दिशा के द्वारवाले घर का निर्माण शुरु किया जा सकता है। कर्क, सिंह, मकर और कुंभ इन चार राशियों के ऊपर जब सूर्य हो तब दक्षिण और उत्तर दिशा के द्वारवाला घर न बनाना चाहिए, किंतु पूर्व अथवा पश्चिम दिशा के द्वारवाले घर के निर्माण का आरंभ करना चाहिए। "मुहूर्त चिंतामणि" की टीका में श्रीपति कहते हैं
जब कर्क, मकर, सिंह और कुंभ राशि का सूर्य हो तब पूर्व अथवा पश्चिम दिशा के द्वारवाले घर का आरंभ किया जाना चाहिए तथा तुला, मेष, वृषभ और वृश्चिक राशि का सूर्य हो तब दक्षिण अथवा उत्तर दिशा के द्वारवाले घर का आरंभ किया जाना चाहिए। इससे विपरीत करने से अथवा मीन, धन, मिथुन और कन्या राशि के सूर्य में गृहनिर्माण का आरंभ करने सेव्याधि और शोक होते हैं तथा धन का नाश होता है।
जैन वास्तुसार
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