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चौसठ पद के वास्तु का स्वरूप :
चौसठ पद के वास्तु में ब्रह्मा चार पदके, अर्यमा आदि चार देव चार चार पद के, मध्य कोण के आपवत्स आदि आठ देव दो दो पद के, ऊपर के कोण के आठ देव आधे आधे पद के और शेष देव एक एक पद के हैं।
चरकी
दि
'सावित्र
आपवत्स
सविता/
इक्याशी पद के वास्तु का *81 इक्याशी पद का वास्तुचक्र * स्वरूप
ज | इं | सू | स | भृ | आ| अ इक्याशी पद के वास्तु में नव पद के ब्रह्मा, अर्यमादि चार देव छः छः पद के मध्यवर्ति कोण के आठ देव दो दो पद के और ऊपर के
कु | पृथ्वीघर ब्रह्मा | विवस्वान बत्तीस देव एक एक पद के हैं। एक सौ पद के वास्तु का स्वरूप एक सौ पद के वास्तु में
रो | पा | शे | अ | व | पु | सु | नं | पि सोलह पद के ब्रह्मा, ऊपर के 10 कोण के आठ देव, डेढ़ - डेढ़
* 100 सौ पद का वास्तुचक्र* पद के, अर्यमादि चार देव, 8 आठ आठ पद के, मध्य कोण के आठ देव दो दो पद के और बाकी के देव एक एक पद के
-अर्थमा
रुद्रदास
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पतना
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विदारिका
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मा
आपवत्स
पृथ्बीघर
ब्रह्मा
विवस्वान
उनचास पद के वास्तु का स्वरुप
उनचास पद के वास्तु में चार पद में ब्रह्मा, अर्यमादि चार देव तीन तीन पद में मध्य कोण के आठ देव नव पद में, ऊपर के कोण के आठ
-मैत्रगण
मद्रदास
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पतना
जन-जन का उजवास्तस
जैन वास्तुसार
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