Book Title: Jan Jan Ka Jain Vastusara
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 122
________________ नवकार महामंत्र - वास्तुदोष निवारण मंत्र प्रातः ब्राह्म मुहूर्त / सूर्योदय समय (६ से ७ के बीच) पठनीय अपने अपने गृहों / स्थानों के सर्व दिशाओं के वास्तुदोषों के निवारण हेतु पंचपरमेष्ठी नवकार मंत्र एवं जिनधर्म-श्रुत-चैत्य-चैत्यालय अभिवंदना। (प्रत्येक मंत्र का एक बार पाठ कर अक्षत अंजलि अर्पित करें।) ___ ॐ णमो अरिहंताणं।* ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं अर्हत् परमेष्ठिने नमः। मध्यदिशा वास्तुदोष निवारणं अक्षयपद सुखप्राप्त्यै अक्षतं निर्वपामि स्वाहा। ॐणमो सिद्धाणं। ॐ हीं श्रीं क्लीं ऐं अहँ सिद्धेभ्यः नमः। पूर्वदिशा वास्तुदोष निवारणं अक्षयपद सुखप्राप्त्यै अक्षतं निर्वपामि स्वाहा। ॐ णमो आयरियाणं। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहँ आचार्येभ्यः नमः। दक्षिणदिशा वास्तुदोष निवारणं अक्षयपद सुखप्राप्त्यै अक्षतं निर्वपामि स्वाहा। ___ ॐ णमो उवज्झायाणं। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहँ उपाध्यायेभ्यः नमः। पश्चिमदिशा वास्तुदोष निवारणं अक्षयपद सुखप्राप्त्यै अक्षतं निर्वपामि स्वाहा। ॐ णमो लोए सव्वसाहूणं। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं सर्वसाधुभ्यो नमः। उत्तरदिशा वास्तुदोष निवारणं अक्षयपद सुखप्राप्त्यै अक्षतं निर्वपामि स्वाहा। ॐ श्री जिनधर्मेभ्यो नमः। वायव्यदिशा वास्तुदोष निवारणं अक्षयपद सुखप्राप्त्यै अक्षतं निर्वपामि स्वाहा। ॐ श्री जिनश्रुतेभ्यो नमः। ईशान्यदिशा वास्तुदोष निवारणं अक्षयपद सुखप्राप्त्यै अक्षतं निर्वामि स्वाहा। ॐ श्री जिनचैत्येभ्यो नमः। आग्र्यदिशा वास्तुदोष निवारणं अक्षयपद सुखप्राप्त्यै अक्षतं निर्वपामि स्वाहा। ॐ श्री जिनचैत्यालयेभ्यो नमः। नैऋत्यदिशा वास्तुदोष निवारणं अक्षयपद सुखप्राप्त्यै अक्षतं निर्वामि स्वाहा। शुद्ध वस्त्र, शुद्ध भाव, शुद्ध स्थान में श्रद्धापूर्वक प्रातःकाल अक्षत-अंजलि सह केवल एक-एक बार यह स्मरण-वंदना पाठ करने से स्पष्टरूप से सर्व वास्तुदोष नष्ट हो जाते हैं। __ -- ज्योतिषी रत्नाकर, ज्योतिषरत्न पं एम्. रत्नराज जैन Ph. (086) 6565 2644 (M) 99453 50586 "णमो' मूल प्राचीन उच्चारण है। 'नमो' का प्रयोग भी प्रचलित है। जन-जन का उ6वास्सार जैन वास्तुसार 98

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