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* योग एवं निसर्गोपचार, अल्प आयुर्वेद आधारित जीवनशैली : एलोपथी
निषिद्ध, खेल केवल प्राय: भारतीय + फूटबोल आदि, कब्बड़ी आदि : क्रिकेट
निषिद्ध। * जिनभक्ति, जिनध्यान • आत्मध्यान, जैनविद्या विश्वविद्यालय युक्त; अहिंसा
आचार - अनेकांत विचार युक्त, सप्तव्यसन त्याग युक्त, जिनपूजा युक्त परंतु आडंबर विहीन, नीति-न्याय संपन्न वैभवयुक्त एवं सब से ऊपर गच्छ-मताग्रह
विहीन, आत्मलक्षी जिन साधु-साधकों के अधिक आवासमय। जिनालय कैसा हो ?
जैन सैद्धांतिक वास्तु-स्थापत्य-शिल्पमय-(देखें 'जन जन का जैन वास्तुसार' ग्रंथ का दूसरा प्रकरण)।
विशेष में परम प्रशांतिमय, ध्यान प्रेरक जिनप्रतिमामय जो सर्व जिनमय पूज्य, 'निरंबर' एवं निराडंबर हो। दर्शन मात्र 'सर्वप्रभावक' हो। (विशेष में देखे 'जिनभक्ति की अनुभूतियाँ' लेख-पुस्तिका) संचालक कैसे हों ? __जिनाज्ञा धारक, परम विनयी-विनम्र-विवेकी, नित्य जिनपूजक, जिन दर्शनाभ्यासी, प्रबुद्ध चिंतक, व्यवहार शुद्ध, न्यायसंपन्न द्रव्योपाजक · नीतिमय व्यापारी, समुदार, सदाचारी - निर्व्यसनी, समभावी, संभवतः निवृत्त अथवा अल्पार्जक, दानी, सुप्रसन्न, श्रावक के सर्व गुणों से युक्त । यथासंभव आग्रह-कदाग्रहमताग्रह अहंकार शून्य खुले दिल दिमाग के, एकाधिकार - एकाधिपत्य विहीन।
संचालन (केवल 5 से 7 तक सीमित संख्या) एकाधिकार विहीन (Authority Less) सर्वानुमति युक्त। न किसी एक का आधिपत्य, न किसी का अहम् प्राधान्य; न किसी श्रेष्ठ धनपति संपत्तिवान का वर्चस्व - नदीन हीन शीलवान सहयोगी का हीनत्त्व : सभी - समान, सभी का सर्वाधिकार सम्मिलित रूप से।
(इन नूतन-व्यवस्था-चिंतन हेतु पढ़े आचार्य विनोबाजी एवं श्री जे. कृष्णमूर्ति के आधुनिक विचार मंथन को एवं बेंगलोर के 'सी.एफ.एल.' Centre for Learning जैसे अभिनव विद्यासंस्था / संचालन के प्रयोगों वाला इस लेखक का लेख . 'Revolutionary EducationLongAwaited') दाता कैसा हो ?
गुप्तदानी, मूर्छा परिग्रह त्याग रूप नाम कामना रहित दाता - ऐसा कि पता न चले कौन दाता और कौन लेनेवाला। विनम्र, गुरुता-ग्रंथी विहीन। जिनशासन सेवा
जन-जन का जतिया
जैत वस्तुिसार
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