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स्वस्तिक घर के अग्रभाग में दूसरा एक अलिंद हो तो यह 'शांत' नामक घर है। हंस घर के आगे दूसरे एक अलिंद हो तो यह घर 'हर्षण' है। वर्धन घर के आगे दूसरा अलिंद हो तो यह घर 'विपुल' है। कबूंर घर के सामने अगर दूसरा अलिंद हो तो यह 'कराल' घर है।
शांत घर की दक्षिण दिशा में स्तंभवाला एक अलिंद हो तो वह 'वित्त' घर कहलायेगा। हर्षण घर की दक्षिण दिशा में स्तंभवाला एक अलिंद हो तो इसे 'चित्र' घर कहेंगे। विपुल घर के दक्षिण में स्तंभ युक्त एक अलिंद हो तो यह 'धन' नाम का घर कहलायेगा। कराल घर के दक्षिण में स्तंभ युक्त अलिंद हो तो यह 'कालदंड' घर कहलायेगा।
वित्त घर की बांई ओर एक अलिंद हो तो यह 'बंधुद' घर है। चित्र घर की बांई ओर अलिंद हो तो इसे 'पुत्रद' घर कहेंगे। धन घर की बांई ओर अलिंद हो तो यह 'सर्वांग' घर कहलायेगा। कालदंड घर की बांई तरफ अलिंद हो तो वह 'कालचक्र' घर कहलायेगा।
शांतन घर के पीछे और दाहिनी बाजु एक एक अलिंद हो तथा द्वार के सन्मुख दो
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