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ज्योतिष-राज-प्रज्ञप्ति एक पर्यवलोकन
अनुयोग प्रवर्तक मुनि कन्हैयालाल "कमल" श्री महावीर वर्द्धमान केन्द्र माउंट आबू (राज.).
एक आगम के दो उपांग :- कर्ता ने कहा है-"इस. भागवती ज्योतिष
"ज्योतिष-राज-प्रज्ञप्ति" के सकलन कर्ता राज-प्रज्ञप्ति का मैंने उत्कीर्तन किया है।" ग्रन्थ के प्रारम्भ में "ज्योतिष-गण-राज प्राप्त" इस ग्रन्थ के रचयिता ने कहीं यह नहीं इस नाम से की गई स्वतन्त्र संकलित कृति कहा किको ही कहने की प्रतिज्ञा करता है ।
"मैं चन्द्र प्रज्ञप्ति या सूर्य-प्रज्ञप्ति का इसका असंदिग्ध आधार चन्द्र-प्रज्ञप्ति के कथन करुंगा", किन्तु दोनों उपांगों के आदि प्रारम्भ में दी हुई तृतीय और चतुर्थ गाथा है। और अन्त में दी गई गाथाओं में "ज्योतिष
इसी प्रकार चन्द्र- प्रज्ञप्ति और सूर्य राज-प्रज्ञप्ति,, यही एक नाम इसके रचयिता पज्ञप्ति के अन्त में दी हुई प्रशस्ति गाथाओं ने स्पष्ट कहा है. इस सन्दर्भ में यह प्रमाण में से प्रथम गाथा के दो पदों में२ स कलन पर्याप्त है। गाहाओ :
यह ग्रन्थ एक ग्रन्थ के रुप में कब तक १. फुड-वियड-पागडत्थ, वुच्छ पुव्वसुय- माना गया ? और इसके दो अध्ययनों अथवा सार णिस्सद ॥
श्रुत-स्कन्धों को उपांगों के रूप में कब मान सुहुम गणिणोवइदु, जोइसगणराय
पण्णत्तिं ॥३॥
से लिया गया ? इस सम्बन्ध में ऐतिहासिक नामेण इंदभूत्ति, गोयमो वंदिऊण तिविहेणं॥ प्रमाण की उपलब्धि के अभाव में कुछ कहने पुच्छइ जिणवरवसह, जोइसरायस्स में असमर्थ हैं।
पण्णत्तिं ॥४॥ ज्योतिष-राज-प्रज्ञप्ति का नामकरण :गाहा
___ ग्रह, नक्षत्र, तारा, ज्योतिषी देव हैं, इय एस पागडत्था, अभव्वजणहियय
दुल्लभा इणमो ॥ इनक र
। इनके राजा अर्थात् इन्द्र है-१. चन्द्र और उवित्तिया भगवती, जोइसरायस्स २. सूर्य । जिस ग्रन्थ में ज्योतिष-राज
पण्णत्ती ॥१॥ "चन्द्र-सूर्य" से सम्बन्धित गणित हो, उसका
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