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मसीही-रिवस्ती धर्म में पृथ्वी का वर्णन
ले. डो. ए. बी. शिवाजी
मोहननिवास विश्वविद्यालय मार्ग'. उज्जैन (म. प्र.) इस लेखमें बाइबलके वाक्योंके अर्थघटना से हम सहमत नहीं, फिरमी संग्रहश्री सापेक्ष निबन्ध छापा गया है.
संपा०
मसीही-धर्म में पृथ्वीका वर्णन अनौखा नियममें यहोवा भी कहा गया है . उसने ही एवं अनूठा है।
सृष्टिका निर्माण किया है ___ यद्यपि मसीहियों की पवित्र पुस्तक बाइबल सृष्टिकी उत्पत्ति परमेश्वरके बोलने मात्रसे का उद्देश्य यह नहीं है कि “वह वैज्ञानिक हुइ है भजन संहिताका लेखक दाउद अपने तथ्यों का उद्घाटन करे"
भजनमें कहता है कि- क्योंकि वह नैतिकता और आध्यात्मिकता "आकाश मंडल होवाके बचनसे को दर्शाती है.
और उसके सारे गण उसके मुंहकी फिर भी बाइबल में ऐसे संदर्भ एवं श्वाससे बने. संकेत पाये जाते हैं. जिसको वैज्ञानिकोंने स्वीकार किया और संसारके विद्वानोंने उसे
इसी कारण मसीही-धर्म का विश्वास है कि मान्यता दी है।
"सृष्टिकी उत्पत्ति हुइ है." "वह शाश्वत
नहीं है” आकाश और पृथ्वीकी उत्पत्ति
नये नियममें भी ऐसे दो संदर्भ है. बाइबल के "पुराने नियम" में "उत्पत्ति" जिसके द्वारा ज्ञात होता है कि-" पृथ्वीकी नामक पुस्तकके प्रथम अध्याय में ही आकाश रचना की गई है"१ और पृथ्वी की उत्पत्तिका वर्णन है।
एक स्थान पर पौलुस कहता है । किर इस पुस्तकमें लिखा है कि
" उसीमें सारी वस्तुओंकी सृष्टि हुइ "आदि में परमेश्वरने आकाश और स्वर्गकी हो या पृथ्वीकी ! देखी या अनदेखी ! पृथ्वी की सृष्टि की"
क्या सिंहासन क्या प्रभुताऐ ! क्या प्रधानताऐं
क्या अधिकार ! अर्थात् पृथ्वी परमेश्वर की कृति है, यह
१. उत्पत्ति १:१ शाश्वत नहीं है, यह विकासवादका परिणाम नहीं हैं. एक ही परमेश्वर जिसको पुराने २. भजन संहिता ३३: ६
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