Book Title: Jambudwip Part 03
Author(s): Vardhaman Jain Pedhi
Publisher: Vardhaman Jain Pedhi

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Page 186
________________ ड मनुष्यों के न्याय और नाश होने के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे । १६ निश्चय मेरे ही हाथने पृथ्वीकी नींव डाली और मेरे ही दाहिने हाथने आकाश फें लाया जब में उनको बुलाता हु वे एकसाथ उपस्थित हो जाते हैं. १५ मसीही धर्म द्वारा विकासवादका खंडन. विकासवादीयो में डार्विन इवर्टस्पेन्सर, लामार्क हेनरी बर्गसा प्रभृति विद्वानों का नाम लिया जाता है । डार्विन का मत है कि - " सृष्टि का विकास यंत्रवाद के रूप में है ।" स्पेन्सर का मत है कि - " प्रकृति से जीवन और जीवन से चेतना आई ।” हेनरी बर्मा दार्शनिक विकासवादको अनवरत प्रवाह के रुपमें देखता है. शावनहावर जैसा दार्शनिक कहता है कि"विश्व में नेत्रहीन शक्ति का शासन है ।" मसीही धर्म इन विकासवादियों के सिद्धांत का खण्डन करता है । बइबल में स्पष्ट इन विकासवादियों के लिये कहा गया है कि वे तो जानबूझ कर यह भूल गये कि परमेश्वर के बचन के द्वारा आकाश प्राचीन काल से विद्यमान है और पृथ्वी भी जल में से बनी और जल में स्थिर है । . इन्हीं के द्वारा उस युग का जगत जल में डूब कर नाश हो गया, पर वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी उसी वचन के द्वारा रखे हैं कि जलाए जाएं; और वह भक्तिहीन ४८-१३ १५ यशय्याह १२ Jain Education International पृथ्वी का अस्तित्व कब तक रहेगा ? इस आयत के द्वारा भी स्पष्ट हो जाता है । वर्तमान में विकासवादी सिद्धांतों का खण्डन लेखको द्वारा किया जा रहा है । sas सर्व उनकी पुस्तक “धी फेस आफ अर्थ”, में लिखता है कि more to The as our knowledge becomes are able exact, the less entertain those theories, which are generally offered in explaination of repeated imundation and energence of the continents.” The face of the earth, Vol 2, pp 295, 497, 540. भूगर्भ शास्त्र की दृष्टि से भी वैज्ञानिकों' ने विकासवाद की आलोचना की है । फलाइड ई. हेमिलटन उनकी पुस्तक धी बेसीस ओफ खोल्युशनरी फेथ में लिखते हैं "The thory of geological ages stretching over millious of years with orgainc life gradually evohing into higher species from age to age, is today chief prop of evolutionary faith, other lines of evidence at best are inconclusive.” pp. 193 पृथ्वी गोल है. पृथ्वी के गोल होने के बाबत जानकारी सर्वप्रथम कोलम्बस (१४५१ - १५०६) ने दी और वैज्ञानिकता के आधार पर इसे सिद्ध किया । १६ २ पतरस ३-५-७ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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