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प्रकार बताया गया, तो ३९३६०-६३८२८७ छोटी तथा आधी रकावी के समान विभिन्न ९६८० किलोमीटर दूर एपोलो ८ पहुंचता हैं। स्वरूपो में कैसे दिखाइ है ? और चन्द्र तो यहां से ३६०००० किलोमीटर
माटर (६)-दिनांक २५-१२--६८ के निवेदन में ही दूर है, तो एपोलो ८ चन्द्र पर किस बताया गया हैं कि "पृथ्वी से ६४०० कि. प्रकार पहुंचा होगा?
मि. तक पृथ्वी पर स्थित स्टेशनों के साथ (३)-"एपोलो ८ को चन्द्रमा को और अंकुश अथवा संपर्क रह सकेगा, तदनन्तर जाने में ६३ घंटे का समय लगा और प्रति यान का भविष्य आकाश यात्रियों की बुद्धि घंटा ३९३६० किलोमीटर की उसकी गति थी. और भाग्य पर निर्भर हैं !” तथा चन्द्रमा से पृथ्वी को और लौटते समय किन्त व्योम यात्रियो को नींद की गोली ५४ घंटे का समय लगा और उस समय
4 लेने की सूचना चन्द्र तक के विवरणों के गति प्रतिघंटा ३८६०० किलोमीटर की थी, .
था, प्रश्नोत्तर, बडे दिनों के सौंदेश, मुख्य रोकेट को ऐसा क्यों ? जाते और आते समय का अतर जलाने की प्रेरणा पृथ्वी की परिक्रमा के बाद चन्द्र अक समान होने पर भी समय में अंतर
र की और राकेट के मुह का परिवर्तन चन्द्रकी क्यों पडे ! संभव है कि किसी कारण वश ही १० प्रदक्षिणा के पश्चात् पृथ्वी की और समय कम हो भी जाय किन्तु गति बढने
एपोलो ८ के मुह को घुमाना आदि बाते की अपेक्षा घटी क्यों ?
यत्रो के माध्यम से सुप्रसिद्ध रुप से बताई (४)-एपोलो-८ दि. २३-१२-६८ के गई है। तो ६४०० किलोमीटर के बाद एपोलो दिन ५॥ बजे पृथ्वी से १००००० मील दूर के साथ वौज्ञानिकों का सम्पर्क था अथवा पहुंचा और वहां से १,२३,३३६ मील दूरी पर नहीं ? यह प्रश्न सहज ही उत्पन्न होता है । चन्द्र था। असा वैज्ञानिकोंने बताया हैं।
(७)-ौज्ञानिकों के कथनानुसार यदि २४६०० मील प्रति घंटो की गति से एपोलो ।
एपोलो ८ वस्तुतः चन्द्र पर पहुंचा हो तो ८ गया है तो २४६००४२४-५९०४०० मील
दि. २८-१२-१९६८ के निवेदन में आकाशपृथ्वी से दूर एपोलो-८को पहुंचना चाहिये,
यात्रियो ने इस प्रकार कैसे बतलाया होगाकिन्तु इससे विपरीत वह १००००० मील ही
... "चन्द्र के धरातल पर से जाते हुए सम्भा. क्यों पहु'चा ?
(२)-चन्द्र के व्यास की अपेक्षा पृथ्वी व्य ज्वाला मुखी जैसा कुछ निर्देश मिलता का व्यास चार गुना अधिक है, फिर भी ५ पृथ्वी चन्द्र के धरातल से चन्द्र की अपेक्षा आकाशयात्रि चन्द्र से ६९ मील ही दूर चोगुनी बडी न दिखकर काले मखमल के वस्तुतः प्रदक्षिणा करते हों तो ज्वालामुखी की अन्दर जडे हुए नीलम जैसी, चांदी के सिक्के स्पष्ट रुपरेखा क्यों नहीं बतला सके ? (डाला) जैसी, एपोलो-८की खिडका से भी क्योंकि आकाशयात्रियोंने यह भी कहा है।
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